ताइपे (ताइवान) । निकारागुआ ने ताइवान से राजनयिक संबंध समाप्त करते हुए कहा कि वह आधिकारिक तौर पर केवल चीन को मान्यता देगा।
चीन स्वशासित ताइवान पर अपना दावा करता है।
निकारागुआ सरकार ने बृहस्पतिवार को एक बयान में कहा, ‘‘केवल एक चीन है। पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना एकमात्र वैध सरकार है जो चीन के सभी क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करती है और ताइवान चीनी क्षेत्र का एक अविभाज्य हिस्सा है, इसलिए निकारागुआ आज से ताइवान के साथ अपने राजनयिक संबंध तोड़ता है और हर प्रकार के आधिकारिक संपर्क या संबंध को समाप्त करता है।’’
ताइवान के विदेश मंत्रालय ने इस बयान पर ‘‘दुख’’ व्यक्त करते हुए कहा कि वह तुरंत अपने राजनयिक कर्मचारियों को वापस बुलाएगा। निकारागुआ के इस कदम के बाद विश्व में ताइवान को आधिकारिक तौर पर मान्यता देने वाले सिर्फ 14 देश रह गए हैं।
चीन पिछले कुछ वर्षों में इस कोशिश में लगा है कि उन देशों की संख्या में कमी आए, जो स्व-शासित, लोकतांत्रिक ताइवान को एक संप्रभु राष्ट्र के रूप में मान्यता देते हैं। चीन वैश्विक मंचों या कूटनीति में ताइवान द्वारा स्वयं का प्रतिनिधित्व किए जाने के खिलाफ है।
चीन के सरकारी प्रसारक ‘सीसीटीवी’ के अनुसार, निकारागुआ सरकार ने शुक्रवार को तियानजिन में चीन के साथ राजनयिक संबंध फिर से स्थापित करने के लिए एक आधिकारिक विज्ञप्ति पर हस्ताक्षर किए। समझौते के तहत, निकारागुआ ने ताइवान के साथ आगे कोई आधिकारिक संपर्क नहीं करने का वादा किया है।
चीन के विदेश मंत्रालय ने कहा, ‘‘यह सही विकल्प है जो वैश्विक प्रवृत्ति के अनुरूप है और इसे लोगों का समर्थन प्राप्त है। चीन इस फैसले की बहुत सराहना करता है।’’
चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजियान ने अपने व्यक्तिगत वीबो अकाउंट पर निकारागुआ के विदेश मंत्री डेनिस मोंकाडा कोलिंड्रेस के बयान को पढ़ते हुए एक वीडियो साझा किया और लिखा, ‘‘हमने एक और लड़ाई जीत ली है।’’ झाओ ने इस परिवर्तन को ‘‘एक अथक प्रयास’’ का हिस्सा बताया।
निकारागुआ ने 1990 के दशक में ताइवान के साथ राजनयिक संबंध स्थापित किए थे, जब राष्ट्रपति वायलेट चामोरो ने चुनावों में डैनियल ओर्टेगा को हराकर सत्ता संभाली थी। ओर्टेगा ने 2007 में सत्ता में लौटने के बाद से लगातार चौथी बार राष्ट्रपति पद के लिए चुने गए अब तक ताइपे के साथ घनिष्ठ संबंध बनाए रखा था।
ताइवान के विदेश मंत्रालय ने ट्विटर पर लिखा, ‘‘लंबे समय से चली आ रही दोस्ती और दोनों देशों के लोगों को लाभान्वित करने वाले सफल सहयोग की ओर्टेगा के नेतृत्व वाली सरकार ने अवहेलना की। ताइवान अडिग है और दुनिया में एक कल्याणकारी ताकत के रूप में बना रहेगा।’