हेलीकॉप्टर दुर्घटना में बचे ग्रुप कैप्टन वरुण सिंह को अगस्त में मिला था शौर्य चक्र

 

नई दिल्ली। तमिलनाडु में कुन्नूर के समीप हुई हेलीकॉप्टर दुर्घटना में बचे ग्रुप कैप्टन वरुण सिंह को अगस्त में शौर्य चक्र से सम्मानित किया गया था। उन्हें पिछले साल उनके तेजस हल्के लड़ाकू विमान में बड़ी तकनीकी खामी के बाद उड़ान के दौरान दुर्घटना होने से रोकने के लिए यह सम्मान दिया गया था।

तमिलनाडु में बुधवार को हुई हेलीकॉपटर दुर्घटना में अकेले सिंह ही बचे हैं और वह वेलिंगटन में एक सैन्य अस्पताल में जिंदगी के लिए जंग लड़ रहे है।

गौरतलब है कि बुधवार को एमआई-17वी5 हेलीकॉप्टर के दुर्घटनाग्रस्त होने से उसमें सवार प्रमुख रक्षा अध्यक्ष जनरल बिपिन रावत, उनकी पत्नी मधुलिका और 11 अन्य कर्मियों की मौत हो गयी थी।

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने दुर्घटना पर संसद में कहा, ‘‘ग्रुप कैप्टन वरुण सिंह वेलिंगटन में सैन्य अस्पताल में जीवन रक्षक प्रणाली पर हैं और उनकी जान बचाने के लिए हरसंभव प्रयास किए जा रहे हैं।’’

ग्रुप कैप्टन सिंह भारत के सबसे वरिष्ठ सैन्य अधिकारी जनरल रावत के वेलिंगटन में डिफेंस सर्विसेज स्टाफ कॉलेज के दौरे के लिए संपर्क अधिकारी के तौर पर रूस द्वारा निर्मित विमान में सवार थे। वह अभी इस प्रतिष्ठित संस्थान में एक निर्देशक के तौर पर सेवारत हैं।

ग्रुप कैप्टन सिंह ने सुलुर हवाई अड्डे पर जनरल रावत की अगवानी की, जहां से वे हेलीकॉप्टर के जरिए वेलिंगटन जा रहे थे। उनके पिता कर्नल (सेवानिवृत्त) के पी सिंह भी आर्मी एयर डिफेंस (एएडी) में सेवा दे चुके हैं।

ग्रुप कैप्टन सिंह को पिछले साल 12 अक्टूबर को उनके तेजस विमान में तकनीकी खामी आने के बाद अनुकरणीय संयम और कौशल का परिचय देने के लिए शौर्य चक्र से सम्मानित किया।

उनके पुरस्कार के उद्धरण में कहा गया, ‘‘अत्यधिक जानलेवा स्थिति में भारी शारीरिक और मानसिक दबाव में होने के बावजूद उन्होंने अनुकरणीय मानसिक संतुलन बनाए रखा और असाधारण उड़ान कौशल का प्रदर्शन करते हुए विमान को बचा लिया।’’

अधिकारियों ने बताया कि उनका विमान पूरी तरह नियंत्रण खो बैठा था और ऐसी परिस्थिति में पायलट को विमान छोड़ देने की पूरी छूट होती है, लेकिन उन्होंने स्थिति की गंभीरता का आकलन किया और विमान को फिर से सुरक्षित उड़ाने का फैसला किया।

उद्धरण में कहा गया, ‘‘अपनी जान को खतरा होने के बावजूद उन्होंने सैकड़ों करोड़ रुपये बचाते हुए लड़ाकू विमान को नियंत्रित करने तथा सुरक्षित उतारने के लिए असाधारण साहस का परिचय दिया। पायलट ने जोखिम लेते हुए विमान को उतारा। इससे स्वदेश निर्मित लड़ाकू विमान में खामी का सटीक विश्लेषण करने और ऐसी घटनाएं फिर से होने से रोकने के लिए एहतियाती कदम उठाने में मदद मिली।

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