नई दिल्ली । दस राष्ट्रीय प्रयोगशालाओं के एक समूह ‘दी इंडियन सार्स-सीओवी2 कॉनसोर्टियम ऑन जीनोमिक्स’ (आईएनएसएसीओजी) के अनुसार पिछले दो महीनों में देश में कोविड-19 मामलों में वृद्धि को सार्स-सीओवी-2 के वेरिएंट बी.1.617 से जोड़कर देखा जा रहा है। अप्रैल और मई में देश में कोरोना वायरस की दूसरी लहर का प्रकोप रहा जिसमें बड़ी संख्या में लोग संक्रमित हुए। आईएनएसएसीओजी के अनुसार कोविड-19 वायरस के बी.1.1.7 वेरिएंट की पहचान सबसे पहले ब्रिटेन में हुई थी। पिछले डेढ़ महीने में भारत में इसका अनुपात घट रहा है। कोरोना वायरस के वेरिएंट बी.1.1.7 को ‘अल्फा’ नाम दिया गया है। सार्स-सीओवी2 का बी.1.617 वेरिएंट पहले महाराष्ट्र में दर्ज किया गया था, लेकिन अब यह पश्चिम बंगाल, आंध्र प्रदेश, दिल्ली, गुजरात, तेलंगाना जैसे अन्य राज्यों में देखा गया है। बी.1.617 तीन अन्य उप वेरिएंट- बी.1.617.1, बी.1.617.2 और बी.1.617.3 में बदला। प्रारंभिक आंकड़े के अनुसार विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) द्वारा डेल्टा कहे गये बी.1.617.2 को अन्य दो वेरिएंट से अधिक संक्रामक बताया गया है। आईएनएसएसीओजी दस राष्ट्रीय प्रयोगशालाओं का एक समूह है जिसे स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा पिछले साल 25 दिसंबर को स्थापित किया गया था।
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