डीडीसीए के चुनावों में रोहन जेटली का अध्यक्ष बनना तय!

नई दिल्ली । डीडीसीए के चुनावों में जीत का उंट किस करवट बैठेगा यह तो कहना मुश्किल है। लेकिन तीन दिन चले चुनावों से यह तो दिखाई देने लगा है कि अब यहां के सदस्यों ने कुछ नया करने का मन बना रखा है। वैसे इस बार डीडीसीए में तीन ग्रुपों के होने से मामला त्रिकोणिय हो गया है। हालांकि एक ग्रुप ऐसा भी है, जिसने अपने केवल पांच ही पदाधिकारियों को मैदान पर उतारा। जिसमें अपनी तरफ से महासचिव पद पर सिद्वार्थ साहिब वर्मा को नाम प्रमुखता से रखा है। डीडीसीए में जहां तक चुनावों की बात करें तो माना यह भी जा रहा है कि रोहन जेटली अध्यक्ष पद के लिए सबकी पहली पंसद है। ऐसे में उनके खिलाफ खडे विकास सिंह चुनौती दे सकेंगे, यह कहना अभी मुश्किल होगा। वर्तमान में विकास सिंह को डीडीसीए के चुनावों में समर्थन देने वाले कभी अरूण जेटली के साथ खडे हुआ करते थे। मगर अपने स्वार्थो के कारण आज कल वह सत्ता बदलने में माहिर हो गए है।

इसके अलावा अगर किसी अन्य पद पर सबसे कडी टक्कर मानी जा रही है तो वह है सचिव पद पर। रोहन जटली के ग्रुप ने उक्त पद पर विनोद तिहारा को उतारा है। तिहारा पिछली बार के विजेता भी है। वहीं विकास सिंह ग्रुप ने राकेश बंसल को उतारा है। तिहारा और बंसल पर कई तरह के गंभीर आरोप लगे हुए है। ऐसे में किसी का पक्ष अगर सचिव पद पर मजबूत दिखाई दिया तो वह थे, दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री साहिब सिंह वर्मा के छोटे बेटे सिद्वार्थ साहिब वर्मा। उनकी साफ छवि डीडीसीए के लोगों की पहली पंसद है। ऐसे में तिहारा को वह हरा देते हैं तो बडी बात होगी। वैसे बताया यह भी जा रहा है कि तिहारा को खूद उसके ग्रुप के लोग भी नहीं चाहते थे। मगर ग्रुप के चलते वह खुल कर बोल नहीं पाए, मगर मतदान में अपना फैसला सिद्वार्थ वर्मा के पक्ष़्ा में करने का जरूर प्रयास किया गया है। यहीं नहीं कई सदस्यों ने तो खूद फोन कर सिद्वार्थ के पक्ष में वोटिंग करने की बात तक पत्रकार को कही है।
दूसरा एक दिन पूर्व ही भारत के पूर्व धुरंधर बल्लेबाज वीरेन्द्र सहवाग ने खुलकर सिद्वार्थ साहिब वर्मा के समर्थन में डीडीसीए के सदस्यों से वोटिंग करने का अनुरोध किया था। अगर सब कुछ सही रहा और दिल्ली के क्रिकेटरों ने सिद्वार्थ को वोट डाले तो उनका जीतना लगभग निश्चित है। फिलहाल इस पर अधिक कहना बेइमानी होगा।
इसके अलावा भारतीय क्रिकेट कंटृोल बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष सीके खन्ना के सामने उपाध्य़क्ष पद पर अपनी पत्नी शशी खन्ना को जीताने का भी दवाब है। ऐसे में वह पत्नी की जीत के लिए वोटों के लिए हर सदस्य के करीबी बनने का प्रयास करते दिखाई दिए थे। वह अपनी पत्नी के पक्ष में कितने वोट डलवा सकेंगे, इसका पता कल ही चल सकेगा।
फिलहाल हम यह कह सकते है कि इस बार के चुनावों में डीडीसीए के पदाधिकारियों में अच्छे लोग काबिज हो सकते है। जिसकी सब उम्मीद भी लगाए है। लेकिन यहां यह भी कहना पडेगा कि डीडीसीए के लोग कब किस तरफ हो जाएं यह कहना मुश्किल है। ऐसे में डीडीसीए के चुनावों में हार जीत का उंट किस करवट बैठेगा यह कहना, बडा मुश्किल है। चुनावों के नतीजे गुरूवार को देर शाम तक आने की संभावना जताई जा रही है।

 

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