नई दिल्ली। अदालत ने संयुक्त पुलिस आयुक्त (दक्षिण-पश्चिम दिल्ली) को यह सुनिश्चित करने के लिए कहा है कि नियमों के तहत उचित जांच प्रक्रिया अपनाई जाए, जिससे अदालत के समय की बर्बादी को रोका जा सके। अदालत ने कहा कि पुलिस की जांच में खामी के चलते अदालत और उसके कर्मचारियों के समय की आए दिन बर्बादी होती है।
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश सुनील बेनीवाल की अदालत ने पुलिस विभाग के माध्यम से भेजे जाने वाले समन, नोटिस व अन्य प्रक्रियाओं में देरी की वजह से सुनवाई टलने पर यह टिप्पणी की है। अदालत ने संयुक्त पुलिस आयुक्त को इस बाबत नोटिस जारी किया है। साथ ही कहा है कि यह सुनिश्चित हो कि पुलिस सीआरपीसी के तहत जांच प्रक्रिया को अपनाए। अदालत का कहना था कि इससे कार्य को गति मिलेगी। अदालत ने इस बाबत पुलिस से रिपोर्ट भी तलब की है।
अदालत ने हमले के एक मामले की सुनवाई करते हुए यह टिप्पणी की। इस मामले में अदालत ने जांच अधिकारी को बहस में सहायता करने के लिए नोटिस जारी किया था। इसका पालन न होने पर अदालत ने आला अधिाकारियों को इस बारे में अवगत कराते हुए कहा कि लगभग सभी मामलों में, पुलिस विभाग के माध्यम से अदालत द्वारा जारी समन, नोटिस और अन्य प्रक्रियाएं पूरी की जाती हैं। लेकिन, पुलिसकर्मियों की लापरवाही के कारण सुनवाई की तारीख से एक दिन पहले ही नोटिस, समन व अन्य प्रक्रियाएं पूरी हो पाती हैं। अचानक मिले नोटिस या समन पर व्यक्ति अदालत नहीं पहुंच पाता और सुनवाई को टालना पड़ता है। यही काम अगर पुलिस समय से करे तो अदालत की सुनवाई को टालने की नौबत न आए। इसके लिए पुलिस के आला अधिकारियों को सक्रिय होना होगा।