भारत ने 100 करोड़ से अधिक नागरिकों को टीकाकरण कर मील का पत्थर किया हासिल, जानिए किन टीकों ने निभाई अहम भूमिका

भारत ने गुरुवार को 100 करोड़ से अधिक नागरिकों को टीकाकरण कर मील का पत्थर हासिल किया है। भारत ने कोरोना महामारी के खिलाफ अपने टीकाकरण कार्यक्रम में एक बड़ा मील का पत्थर हासिल किया है। देश ने गुरुवार को 100 करोड़ से अधिक नागरिकों के टीकाकरण के आंकड़े को पार कर लिया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस अवसर पर लोगों को बधाइ देते हुए डाक्टरों, नर्सों और उन सभी को धन्यवाद दिया। आइए एक नजर डालते हैं देश में विकसित, निर्मित या उपयोग में आने वाले उन टीकों पर जो इस अभियान में अहम भूमिका निभा रहे हैं।

कोरोना वायरस को फैलने से रोकने के लिए भारत ने इस साल 16 जनवरी को अपना टीकाकरण अभियान शुरू किया था। उस समय देश में केवल दो टीके कोवैक्सिन और कोविशील्ड उपलब्ध थे। भारत ने अब तक कोरोना वायरस के खिलाफ छह टीकों को आपातकालीन उपयोग प्राधिकरण प्रदान किया है। इसमें से तीन टीके आपातकालीन उपयोग में हैं। जिसमें सीरम इंस्टीट्यूट आफ इंडिया द्वारा निर्मित आक्सफोर्ड एस्ट्राजेनेका की कोविशील्ड वैक्सीन, भारत बायोटेक लिमिटेड द्वारा निर्मित कोवैक्सिन और गैमलेया रिसर्च इंस्टीट्यूट रूस द्वारा विकसित स्पुतनिक वी शामिल है।

ड्रग कंट्रोलर जनरल आफ इंडिया (DCGI) ने माडर्न, जानसन एंड जानसन और जाइडस कैडिला के टीकों को आपातकालीन उपयोग प्राधिकरण (EUA) प्रदान किया है, जिनमें से दो वैक्सीन से अक्टूबर-नवंबर तक टीकाकरण अभियान को तेज करने में मदद मिलने की उम्मीद है। 3 जनवरी को भारत ने आपातकालीन उपयोग के लिए कोरोना टीकों कोविशील्ड और कोवैक्सिन को मंजूरी दी। भारत की पहली स्वदेशी कोरोना वैक्सीन, कोवैक्सीन को भारत बायोटेक द्वारा भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) और नेशनल इंस्टीट्यूट आफ वायरोलाजी (NIV) के सहयोग से विकसित किया गया है।

12 अक्टूबर को ड्रग रेगुलेटर की सब्जेक्ट एक्सपर्ट कमेटी (SEC) ने 2-18 साल के बच्चों के लिए भी भारत बायोटेक की कोवैक्सीन को इमरजेंसी यूज आथराइजेशन देने की सिफारिश की थी। एसईसी ने अंतिम मंजूरी के लिए भारत के औषधि महानियंत्रक (डीसीजीआई) को अपनी सिफारिश सौंप दी है। कोवैक्सिन को विश्व स्वास्थ्य संगठन से मंजूरी मिलने की भी प्रक्रिया चल रही है। भारत में आक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका की वैक्सीन कोविशील्ड, स्थानीय स्तर पर सीरम इंस्टीट्यूट आफ इंडिया (एसआइआइ) द्वारा निर्मित की जा रही है। इस वैक्सीन को विश्व स्वास्थ्य संगठन से मंजूरी मिल चुका है।

कोविशिल्ड और कोवैक्सीन को भारत विश्व स्वास्थ्य संगठन के नेतृत्व वाले कोवैक्स पहल के तहत गरीब देशों तक पहुंचा रहा है। इसके साथ ही भारत अपनी मानवीय पहल ‘वैक्सीन मैत्री’ के तहत दिसंबर तक कोरोना टीकों के निर्यात में तेजी ला सकता है। ‘वैक्सीन मैत्री’ एक पहल है जिसे भारत सरकार द्वारा दुनिया भर के देशों को कोरोवा टीके उपलब्ध कराने के लिए शुरू किया गया था।

यूरोपीय संघ के लिए डीजीसीआई द्वारा अनुमोदित तीसरा टीका स्पुतनिक वी था। रूसी प्रत्यक्ष निवेश कोष (आरडीआइएफ) के अनुसार, 13 अप्रैल को डीसीजीआइ ने स्पुतनिक वी वैक्सीन के उपयोग को मंजूरी दी थी। मेडिकल जर्नल लैंसेट के मुताबिक, स्पुतनिक वी 91.6 फीसदीकोरोना से बचाव में कारगर है। वैक्सीन वितरक डां रेड्डीज लैबोरेट्रीज ने सितंबर में कहा था कि स्पुतनिक वी वैक्सीन की दो खुराक एक ही अस्पताल में लेनी जरूरी है। फार्मा कंपनी ने यह भी जानकारी दी कि दोनों टीकों में 21 दिनों का अंतराल होना चाहिए।

इसके अतिरिक्त, केंद्र सरकार ने 29 जून को अमेरिकी फार्मा कंपनी माडर्न की कोरोना वैक्सीन को आपातकालीन उपयोग प्राधिकरण प्रदान किया, जिससे यह देश में स्वीकृत होने वाला चौथी वैक्सीन बन गई है। इसके अलावा, 7 अगस्त को अमेरिकी फार्मा दिग्गज जानसन एंड जानसन की एकल-खुराक वाली कोरोना वैक्सीन जैनसेन को भारत में इयूए प्राप्त हुआ है। फार्मा कंपनी ने कहा था कि यह एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है जिसने बायोलाजिकल ई. लिमिटेड के सहयोग से भारत और बाकी दुनिया के लोगों के लिए एकल-खुराक वली वैक्सीन लाने का मार्ग प्रशस्त किया है।

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