नई दिल्ली। राष्ट्रीय वन्यजीव बोर्ड (एनबीडब्ल्यूएल) ने संरक्षित क्षेत्रों और पारिस्थितिकीय रूप से संवेदनशील क्षेत्रों के भीतर आने वाली परियोजनाओं पर पर्यावरण के प्रभाव को कम करने के उपायों के लिए ‘निर्धारित जुर्माना’ नहीं लगाने का फैसला किया और कहा है कि परियोजना प्रस्तावों की सिफारिश करते समय शमन उपाय और संबंधित लागत निर्धारित की जाएगी।
एनबीडब्ल्यूएल की स्थायी समिति ने अगस्त में सिफारिश की थी कि संरक्षित क्षेत्रों और पारिस्थितिकीय रूप से संवेदनशील क्षेत्रों के अंदर आने वाली परियोजनाओं की आनुपातिक लागत की दो प्रतिशत लागत को बतौर जुर्माना, पर्यावरण पर प्रभाव कम करने के उपायों के लिए उपयोगकर्ता एजेंसियों पर लगाया जा सकता है।
उसने कहा था, ”इसी संरक्षित क्षेत्र में शमन उपायों पर यह राशि खर्च की जानी चाहिए।”
केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव की अध्यक्षता वाली स्थायी समिति ने 24 सितंबर को 65वीं बैठक में पुन: इस विषय को उठाया था।
समिति ने फैसला किया कि संरक्षित क्षेत्रों और पारिस्थितिकीय रूप से संवेदनशील क्षेत्रों में परियोजनाओं के पर्यावरण पर प्रभाव कम करने (शमन) के उपायों को परियोजना के प्रस्तावों का हिस्सा बनाया जाना चाहिए।
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