नई दिल्ली। राजधानी की सभी जिला अदालतों में मुकदमों की सुनवाई हाइब्रिड प्रणाली से करने के लिए बुनियादी संसाधनों के लिए दिल्ली सरकार ने 78.48 करोड़ रुपये की मंजूरी दी है। उच्च न्यायालय में मंगलवार को सरकार ने यह जानकारी दी।
जस्टिस विपिन सांघी और जसमीत सिंह की पीठ ने अब सरकार को यह बताने के लिए कहा है कि जिला अदालतों में हाइब्रिड प्रणाली से मुकदमों की सुनवाई कब तक शुरू हो सकेगी। पीठ ने कहा कि इस प्रणाली का मकसद यह सुनिश्चित करना है कि कोरोना की संभावित तीसरी लहर होने की स्थिति में अधिवक्ताओं और पक्षकारों/वादियों को कोई किसी तरह की परेशानी नहीं हो और समय पर न्याय मिले।
पीठ ने सरकार को अपनी स्थिति रिपोर्ट कोर्ट के रेकॉर्ड पर लाने का निर्देश दिया है। स्थिति रिपोर्ट में सरकार ने कहा है कि सभी सात जिला अदालतों में मामलों की सुनवाई हाइब्रिड प्रणाली से करने के लिए बुनियादी संसाधनों को स्थापित करने के लिए 78.48 रुपये की मंजूरी दे दी गई है। इस बारे में सरकार को तीन दिन में रिपोर्ट पेश करने को कहा गया है। मामले की अगली सुनवाई 18 अक्तूबर को होगी।
साथ ही, उच्च न्यायालय ने केंद्र सरकार से भी यह बताने के लिए कहा है कि वह विभिन्न ट्रिब्यूनल में यह प्रणाली लागू करने के बारे में क्या कदम उठा रही है। उच्च न्यायालय ने अधिवक्ता अनिल कुमार और मानश्वी झा की ओर से दाखिल याचिका पर यह आदेश दिया है। उन्होंने याचिका में अदालतों में प्रयत्यक्ष सुनवाई के साथ-साथ हाइब्रिड प्रणाली से मामलों की सुनवाई करने के लिए सरकार को संसाधन विकिसित करने का आदेश देने की मांग की है।
इस मामले में पीठ ने सरकार को समुचित कदम उठाने के लिए कहा था। साथ ही, पीठ ने सरकार से कहा था कि यदि अदालतों में इस प्रणाली को लागू करने से इनकार किया जाता है तो फिर सरकारी विज्ञापनों की समीक्षा की जाएगी।
क्या है हाइब्रिड प्रणाली : इस प्रणाली में प्रत्यक्ष और वर्चुअल सुनवाई एक साथ होगी। यानी कोई कोर्ट में होगा तो कोई वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए भी सुनवाई शामिल हो सकता है। इसके लागू होने से यदि कोरोना महमारी की तीसरी लहर आती है तो लोगों को अपने मुकदमों के लिए कोर्ट आने की जरूरत नहीं पड़ेगी।
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