-सुधा शर्मा-
जिन्दगी बडी सरल है, इसे पेचीदा ना बनाओ.
धर्म, जाति के नाम पर इसे और न उलझाओ.
जिन्दगी वरदान है भगवान का, इसे अभिशाप न बनाओ
ईर्ष्या, द्वेष, छल, कपट से, इसे राख न बनाओ.
जिंदगी संघर्ष है, इसे पीठ न दिखाओ
सम्पूर्ण मनोयोग से, इसे विजयी तो बनाओ.
जिंदगी आनंद है, इसका त्यौहार तो मनाओ
प्रकृति की हर शै से, उल्लास बटोर लाओ.
जिंदगी पश्चाताप है, पूर्व जन्म के कर्मों का,
सत्कर्मों के पावन जल, इस कलंक को मिटाओ
जिंदगी व्यवहार है, इसे प्यार से निभाओ
नए पुराने रिश्तों के सभी गिले शिकवे तो मिटाओ.
जिंदगी उपहार है, गर्व से चूम लो तुम
याद कर घटना, आनन्द में झूम लो तुम.
जिंदगी एक सुयोग है, इसे व्यर्थ न गंवाओ
अवसर का उपयोग कर, इसे मिल का पत्थर बनाओ
जिंदगी ख्वाब है, सच करके तो दिखाओ .
आसमा का हर सितारा, जमीं पर उतार लाओ.
तम छाया है चहुं ओर, जरा प्रकाश बटोर लाओ
जुगनुओं से भी प्रकाश, बटोरकर प्रकाशपुंज बनाओ।।
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