रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया(RBI) के पूर्व डिप्टी गवर्नर, आर गांधी के अनुसार, RBI की तरफ से सिस्टम में पर्याप्त तरलता बनाए रखने के लिए अपने मौजूदा समायोजन के रुख को जारी रखने की उम्मीद है। इसके अलावा फिलहाल कुछ तिमाहियों तक मौद्रिक नीति को कड़ा नहीं किया जाएगा, क्योंकि आर्थिक अभी आर्थिक सुधार पूर्व-कोविड स्तर तक नहीं पहुंचा है। हालांकि कम ब्याज दर से, आर्थिक गतिविधियों के बढ़ने की उम्मीद है।
शुक्रवार को बंगाल चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री द्वारा आयोजित एक समारोह को संबोधित करते हुए RBI के पूर्व डिप्टी गवर्नर ने कहा कि, “मेरे आकलन में, भारत में सामान्यीकरण या मौद्रिक नीति का कड़ा होना कई तिमाहियों दूर है। निश्चित रूप से इसे चालू वित्तीय वर्ष में नहीं किया जाएगा। अर्थव्यवस्था दोबारा से पटरी पर लौट रही है, लेकिन हम 2019-20 के पूर्ण पूर्व-कोविड स्तर तक नहीं पहुंचे हैं। आरबीआई मौद्रिक नीति को सख्त तब करेगा जब अर्थव्यवस्था लगातार बढ़ रही होगी।
केंद्रीय बैंक ने 6 अगस्त को ब्याज दरों को रिकॉर्ड निचले स्तर पर अपरिवर्तित रखा था। क्योंकि RBI की प्राथमिकता फिलहाल मुद्रास्फीति पर अर्थव्यवस्था का सुधार करना है। RBI ने पिछली बार 22 मई, 2020 को अपनी नीतिगत दर को एक ऑफ-पॉलिसी चक्र में संशोधित किया था, ताकि ब्याज दर में कटौती करके मांग को बढ़ाया जा सके। यह लगातार सातवीं बैठक थी जब ब्याज दरों की कटौती को जारी रखा गया।
हालांकि, व्यापारियों और विश्लेषकों की तरफ से ऐसा संकेत मिला है कि, RBI बैंकिंग सुविधा के सहारे बाजार में अधिक तरलता पैदा करने की कोशिश कर रहा है।
इस महीने की शुरुआत में RBI के गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा था कि, “जैसा-जैसे बाजार में नियमि कामकाज और तरलता का संचालन सामान्य होता जाएगा, आरबीआई भी समय-समय पर अप्रत्याशित और एकमुश्त प्रबंधन के लिए आवश्यक रूप से संचालन करेगा। ताकि सिस्टम में तरलता संतुलित और समान रूप से विकसित होती रहे।”
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