रग्बी की खिलाड़ी को पिता ने कबाड़ बेचकर आगे बढ़ाया, बेटी की उपलब्धियों से हर किसी को नाज

एशिया रग्बी अंडर-18 गर्ल्स रग्बी सेवन्स चैंपियनशिप में रजत पदक जीतने वाली भारतीय टीम को मजबूत बनाने में दिल्ली की तीन खिलाड़ियों का भी महत्वपूर्ण योगदान रहा। भारतीय महिला अंडर-18 रग्बी टीम की इन तीन खिलाड़ियों ने यह साबित कर दिया कि जहां चाह होती है वहां राह बन ही जाती है। आर्थिक रूप से पिछड़े परिवार से ताल्लुख रखने वाली इन खिलाड़ियों के नाम नंदिनी, गोमती और टीम की कप्तान अंशिका है।

विषम परिस्थितियों का सामना करने के बावजूद उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और लगातार मेहनत करते हुए उपलब्धियों को प्राप्त किया। इस सफलता में उनके माता-पिता का भी भरपूर सहयोग है जिन्होंने बेटियों को ऊंचाइयों तक पहुंचाने के लिए हर जतन किए। अब इनका सपना है कि वह ओलिंपिक में भी इसी तरह पदक हासिल करें और देश का गौरव बढ़ाएं।

तीनों खिलाड़ी हैं एकदूसरे की दोस्त

दिल्ली रग्बी रेबल्स क्लब की यह सभी खिलाड़ी रोहिणी सेक्टर 20 में रहती हैं और एकदूसरे की अच्छी दोस्त हैं। उज्बेकिस्तान के ताशकंद में हुए इस रग्बी चैंपियनशिप में भारतीय टीम ने अपने प्रतिभा से दूसरी सभी खिलाड़ियों को प्रेरित किया है। 15 वर्षीय खिलाड़ी नंदिनी ने बताया कि उन्हें इस बात का मलाल हमेशा रहेगा कि वह उनके पास दो मिनट और होते तो देश के लिए स्वर्ण लाने में सफल हो जाती। वह कहती हैं पदक जीतने के बाद उन्हें दिल्ली के कई हिस्सों से लड़कियों ने फोन कर बधाई दी और रग्बी के खेल में आगे बढ़ने के लिए टिप्स मांगे।

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वहीं गोमती और अंशिका भी इस बात से खुश हैं कि उन्हें खेल में प्रतिभा काे प्रदर्शन करने का यह अवसर मिला। वह चाहती हैं कि आर्थिक व सामाजिक चुनौतियों से लड़ रहीं ऐसी दूसरी लड़कियों को भी यह अवसर मिलना चाहिए।

कर्ज लिया और कबाड़ बेचा

गोमती के पिता नरेश कुमार कारखाने में काम करते हैं।  उन्होंने बताया कि जब बेटी को रग्बी की ट्रेनिंग के लिए उड़िसा जाना था तब उन्होंने करीब पांच सौ किलो कबाड़ बेचकर साढ़े तीन हजार की टिकट का इंतजाम किया था। वह चाहते हैं कि उनकी बेटी अपने सपने का पूरा करे और इसी तरह भविष्य में भी देश को गौरवान्वित करे।

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वहीं नंदिनी के पिता रमेश कुमार घरों में पेंटिंग का काम करते हैं। जब उनकी बेटी चैंपियनशिप में भाग लेने देश के बाहर जा रही थी तब उन्होंने कर्ज लेकर उसे पांच हजार रुपये दिए ताकि वह अपने लिए जरूरत का सामान ले सके। टीम कैप्टन अंशिका के पिता एसएन चौहान ने भी आर्थिक चुनौतियों का सामना कर बेटी की प्रतिभा को बढ़ावा दिया।

प्रशिक्षण की चुनौतियां

इन खिलाड़ियों के कोच सुभाष सोलंकी ने बताया कि वह निर्धन बच्चों की प्रतिभा को सामने लाने के लिए उन्हें निश्शुल्क प्रशिक्षण देते हैं। इसके तहत उन्होंने खिलाड़ियों के डाइट से लेकर प्रशिक्षण के लिए कीट के इंतजाम किए। पार्कों में उन्हें खेल का अभ्यास करवाया।

jagran वह चाहते हैं अच्छे खिलाड़ियों को अवसर मिलना चाहिए ताकि देश की झोली में पदकों की भरमार हो। इसके लिए खिलाड़ियों के बुनियाद को मजबूत बनाने के लिए सरकार को आगे आना चाहिए।

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