टीका साझा करने का बाइडन का कदम अमेरिकी प्रभाव को बढ़ाने वाला

वाशिंगटन। कोविड-19 के टीकों के निर्माण के लिए बौद्धिक संपदा अधिकारों के प्रावधानों में छूट देने का राष्ट्रपति जो बाइडन का निर्णय वैश्विक नेतृत्व में उनके प्रशासन की प्रतिबद्धता को दर्शाने के लिहाज से लिया गया है।

इस विषय पर एक महीने से अधिक वक्त तक चली आंतरिक बहस के बाद बाइडन ने इस हफ्ते फैसला किया कि वह कोविड-19 टीकों के पेटेंट में कुछ समय के लिए छूट देने की अंतरराष्ट्रीय अपील को स्वीकार करेंगे।

नीति में बदलाव का दुनिया भर के कई परोपकारी संगठनों एवं देश के उदारवादियों ने स्वागत किया है। नीति में बदलाव का यह कदम हालांकि नया नहीं है।

बाइडन ने राष्ट्रपति चुनाव के लिए अपने अभियान के दौरान इसका समर्थन किया था। प्रशासन के भीतर जारी चर्चाओं का जोर हालांकि इस बात को लेकर था कि वैश्विक महामारी को कितनी बेहतर तरीके से समाप्त किया जा सकता है और ऐसा करते हुए दुनिया भर में अमेरिका का प्रभाव भी बरकरार रहे।

अधिकारियों ने माना है कि हरसंभव कोशिश करने के बावजूद नीति में परिवर्तन के कारण अतिरिक्त टीके बनाने में कम से कम एक साल का वक्त लग सकता है।

प्रमुख यूरोपीय नेता इन रियायतों के पूरी तरह खिलाफ थे और विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) में जरूरी सहमति जुटा पाना शायद कभी न हो।

विशिष्ट उत्पादन, खासकर फाइजर और मॉडर्ना द्वारा बनाए गए अत्याधुनिक एमआरएनए टीकों में और वक्त लग सकता है। सबसे अहम यह है कि इस मामले को लेकर ज्यादा बहस नहीं होगी अगर टीका उत्पादक अंतरराष्ट्रीय मांगों को पूरा करने के लिए पर्याप्त उत्पादन कर सकें।

व्हाइट हाउस के अधिकारियों का मानना है कि बाइडन का फैसला पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के एकपक्षवाद और संरक्षणवाद के चार साल बाद अमेरिका को नेतृत्व की स्थिति में वापस लाने वाला है।

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