टीकाकरण में गर्भवती महिलाओं को प्राथमिकता देने से जुड़ी याचिका पर न्यायालय ने केंद्र से मांगा जवाब

 

नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय सोमवार को उस याचिका पर सुनवाई के लिये तैयार हो गया जिसमें गर्भवती व स्तनपान कराने वाली महिलाओं को उच्च जोखिम वाली श्रेणी में रखते हुए कोविड-19 टीकाकरण में प्राथमिकता दिए जाने की मांग की गई है।

न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति बी वी नागरत्ना की पीठ ने दिल्ली बाल अधिकार संरक्षण आयोग (डीसीपीसीआर) की याचिका पर केंद्र को नोटिस जारी किया और दो सप्ताह के भीतर जवाब मांगा।

डीसीपीसीआर की ओर से पेश अधिवक्ता वृंदा ग्रोवर ने कहा कि केंद्र ने गर्भवती महिलाओं और स्तनपान कराने वाली माताओं के टीकाकरण के लिए कुछ दिशानिर्देश जारी किए हैं लेकिन अब कहा जा रहा है कि टीकाकरण के कारण उन पर कुछ प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है।

उन्होंने कहा कि इन स्थितियों में महिलाओं को उच्च जोखिम वाली श्रेणी में घोषित करने की आवश्यकता है और लोग क्योंकि एक ऐसे वायरस से जूझ रहे हैं जिसके बारे में उन्हें ज्यादा जानकारी नहीं है, इसलिए उन पर टीकाकरण के प्रभावों को लेकर निरंतर शोध करने की आवश्यकता है।

उन्होंने कहा कि गर्भवती महिलाओं व स्तनपान कराने वाली माताओं के पंजीकरण के लिये एक मंच बनाए जाने की जरूरत है जिससे उनकी समुचित निगरानी हो।

शीर्ष अदालत ने कहा कि डीसीपीसीआर द्वारा अनुच्छेद 32 के तहत दायर याचिका इस साल मई में कोविड-19 की दूसरी लहर के बीच दायर की गई थी और बाद में गर्भवती महिलाओं और स्तनपान कराने वाली माताओं के टीकाकरण के लिए दिशानिर्देश जारी किए गए थे।

पीठ ने कहा कि वह केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर रही है और दो हफ्तों में जवाब चाहती है।

शीर्ष अदालत ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से कहा कि वह गर्भवती महिलाओं और स्तनपान कराने वाली माताओं के टीकाकरण के लिए तैयार की गई नीति से अवगत कराएं और साथ ही इस मामले में भविष्य में उठाए जाने कदमों के बारे में उनसे सहायता मांगी है।

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