नई दिल्ली । मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व में दिल्ली सरकार ने प्रदूषण के खिलाफ लड़ाई को तेज कर दी है। पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने कहा कि पड़ोसी राज्यों में पराली जलाने की समस्या के समाधान और केजरीवाल सरकार द्वारा उठाए गए कदमों को लेकर वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग और केंद्रीय पर्यावरण मंत्री से मुलाकात करेंगे। हम मांग करेंगे कि सभी राज्यों के लिए एक संयुक्त कार्य योजना बनाई जाए, ताकि प्रदूषण के खिलाफ लड़ाई को मजबूती से लड़ सकें। अगर केंद्र सरकार के माध्यम से सभी राज्यों का सहयोग मिलता है, तो दिल्ली समेत पूरे उत्तर भारत को प्रदूषण से मुक्ति दिलाना आसान हो जाएगा।
पर्यावरण मंत्री ने कहा कि पराली को गलाने के लिए पिछले साल हमने पूसा इंस्टीट्यूट के माध्यम से खेतों में बॉयो डी-कंपोजर का छिड़काव किया था और उसका परिणाम बहुत सकारात्मक रहा है। पंजाब, हरियाणा, राजस्थान और उत्तर प्रदेश को बॉयो डी-कंपोजर को लेकर पहल शुरू कर देनी चाहिए, ताकि पराली की समस्या से निजात पाया जा सके। उन्होंने बताया कि दिल्ली सरकार प्रदूषण के खिलाफ मजबूती से लड़ाई लड़ने के लिए अगले सप्ताह से विंटर एक्शन प्लान तैयार करने जा रही है।
दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने पराली के जलने से होने वाले वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने लेकर आज मीडिया से बातचीत की। उन्होंने कहा कि दिल्ली के अंदर और खासकर उत्तर भारत में ठंड के मौसम में प्रदूषण की समस्या काफी बढ़ जाती है। ठंड के मौसम में प्रदूषण बढ़ने के बहुत से कारण हैं, जिसमें वाहन प्रदूषण और धूल प्रदूषण आदि शामिल हैं। लेकिन ठंड के समय प्रदूषण बढ़ने का एक बहुत ही महत्वपूर्ण कारण पराली है। ठंड के समय पराली के जलने से उसके धुएं से काफी प्रदूषण पैदा होता है। पिछले कई सालों से पराली जलाने से होने वाले प्रदूषण पर लगातार चर्चा हो रही है। केंद्र सरकार भी इस पर चर्चा करती रहती है, लेकिन इसका समाधान निकल कर नहीं आ रहा है।
पर्यावरण मंत्री ने आगे कहा, ‘‘दिल्ली के अंदर पराली को कैसे गलाया जा सकता है, उसके लिए पिछले साल दिल्ली सरकार ने पूसा इंस्टीट्यूट के माध्यम से बॉयो डी-कंपोजर का छिड़काव खेतों में किया था और उसका बहुत ही सकारात्मक परिणाम रहा है। हम चाहते हैं कि जो दिल्ली के आसपास उत्तर भारत की जो सरकारें हैं, जिसमें पंजाब, हरियाणा, राजस्थान और उत्तर प्रदेश शामिल हैं। यह सरकारें अभी से बॉयो डी-कंपोजर को लेकर पहल शुरू करें, जिससे कि इस बार ठंड के मौसम में पराली जलाने से होने वाले प्रदूषण की समस्या से निजात पाया जा सके। पिछले साल हमने जो प्रयोग किए, उसको लेकर हमने नेशनल कमीशन में भी अपनी बात रखी थी। अब उसको गति देने के लिए दिल्ली सरकार का एक प्रतिनिधि मंडल जल्द ही केंद्र सरकार के मंत्रियों के साथ-साथ नेशनल कमीशन से भी मुलाकात करेगा। क्योंकि अभी से इस पर काम तेज नहीं किया गया, तो फिर समय रहते पराली जलाने से होने वाले प्रदूषण की समस्या से निजात पाना मुश्किल हो जाएगा।’’
पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने कहा, ‘‘दिल्ली के अंदर प्रदूषण को कम करने के लिए हम लगातार काम कर रहे हैं। इन कार्यों को भी हम नेशनल कमीशन के सामने रखना चाहते हैं। जैसे-हमने दिल्ली के अंदर वायु प्रदूषण को रोकने के लिए ‘रेट लाइट ऑन, गाड़ी ऑफ’ कैंपेन चलाया। यह कैंपेन सभी राज्यों में चलाया जा सकता है। दिल्ली के अंदर धूल का प्रदूषण रोकने के लिए हमने एंटी डस्ट कैंपेन चलाया, यह कैंपेन भी सभी राज्यों में चलाने की जरूत है। खासतौर से दिल्ली के आसपास के राज्यों में यह कैंपेन अवश्य चलाया जाना चाहिए। हमने दिल्ली के अंदर इस पूरे अभियान के लिए केंद्रीकृत वाररूम बनाया है, जो ग्रीन वाररूम के हम सारी चीजों की निगरानी करते हैं, वह कैसे कार्य करता है, उस पर भी हम उनसे चर्चा करना चाहते हैं। जिससे कि सभी राज्यों के साथ एक संयुक्त कार्य योजना (ज्वाइंट एक्शन प्लान) बन सके और उस संयुक्त कार्य योजना के माध्यम से हम लोग प्रदूषण के खिलाफ लड़ाई को मजबूती के साथ लड़ सकें।”
उन्होंने कहा कि हम दिल्ली के अंदर पूरी गंभीरता के साथ प्रदूषण के खिलाफ काम कर रहे हैं और आगे भी करते रहेंगे। अभी हमने पर्यावरण विभाग के डीपीसीसी के तमाम अधिकारियों को कई आवश्यक निर्देश दिए हैं। साथ ही, हम अगले सप्ताह से विंटर एक्शन प्लान तैयार करने जा रहे हैं। लेकिन उत्तर भारत का जो प्रदूषण है, वह बिना संयुक्त अभियान के कम करना कठिन है। हम इस कठिन काम को भी करेंगे, लेकिन अगर केंद्र सरकार के माध्यम से सभी राज्यों का सहयोग मिल जाता है, तो इस लड़ाई को लड़ना और दिल्ली के साथ-साथ समूचे उत्तर भारत के लोगों को प्रदूषण से मुक्ति दिलाना आसान हो जाएगा। हमने यह निर्णय लिया है कि हम जल्द ही केंद्र सरकार के साथ बैठक कर अपने सभी बिंदुओं को रखेंगे और हम चाहेंगे कि केंद्र सरकार से हमें सहयोग मिले, जिससे कि इस लड़ाई को आगे बढ़ाया जा सके।