कुशीनगर रेल परियोजना को राज्य के अंशदान की दरकार

 

 

 

-अंशदान न मिलने से रुका है भूमि अधिग्रहण का कार्य

कुशीनगर । भगवान बुद्ध की महापरिनिर्वाण स्थली कुशीनगर को सीधे रेल लाइन से जोड़े जाने के लिए बनी गोरखपुर-कुशीनगर-पडरौना रेल परियोजना राज्य सरकार का अंशदान न मिलने के कारण अटकी पड़ी है। यही हाल छितौनी-सेवरही रेल परियोजना का भी है। मंगलवार को कुशीनगर में हुई रेलवे से सम्बन्धित संसद की स्थाई संसदीय समिति के समक्ष सांसद विजय दुबे ने यह मामला उठाया तो रेलवे के अधिकारियों ने अंशदान न मिलने की बात कही।

कुशीनगर रेल परियोजना की कुल लागत 1476 करोड़ की है। राज्य सरकार को लागत का 50 प्रतिशत रेलवे को देना है। अंशदान मिलने के बाद रेलवे भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया शुरू कराती। किन्तु अंशदान के अभाव में परियोजना पर कार्य ठप है। भारत सरकार ने वित्तीय बर्ष 2017-18 में इस परियोजना को मंजूरी दी थी। प्रस्तावित 65 किमी रेल लाइन के लिए बजटीय स्वीकृति भी मिल गई थी। भूमि अधिग्रहण को सर्वे किए जाने के लिए मंत्रालय ने एक करोड़ का बजट भी जारी कर दिया था। मामला सर्वे तक सिमट कर रह गया है। सर्वे के तहत सरदारनगर से हेतिमपुर तक बिछी सरदारनगर चीनी मिल की नैरोगेज रेल लाइन को भी परियोजना के तहत शामिल कर लिया गया।

सांसद विजय दुबे ने नैरोगेज लाइन व भूमि को अंशदान के रूप में राज्य सरकार द्वारा रेलवे को दिए जाने के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखा है। सांसद के यह 647 करोड़ की संपत्ति है। छितौनी-तमकुही 64 किमी रेल लाइन बिहार होकर गुजरती है। यहां भी अंशदान की समस्या फंसी है। बिहार सरकार ने भूमि अधिग्रहण का कार्य पूरा कर लिया है । किंतु उप्र सरकार के हिस्से का भूमि अधिग्रहण अंशदान के अभाव के कारण रुका है। इस नाते रेलवे बजटीय प्राविधान के बाद भी कार्य आगे नही बढ़ा पा रही।

पूर्वोत्तर रेलवे के महाप्रबन्धक विनय कुमार तिवारी ने इस सम्बंध में पत्रकारों से बातचीत में बताया कि अंशदान के लिए रेलवे लगातार डिमांड कर रहा है। जब तक अंशदान नही मिलेगा परियोजना का कार्य आगे नही बढ़ सकता।

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