लखनऊ। उत्तर प्रदेश के बाढ़ प्रभावित जिलों में सामुदायिक रसोई की स्थापना की गई है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि कोई बिना भोजन के न रहे।
पूर्वी उत्तर प्रदेश में लगातार बारिश के कारण बाढ़ की स्थिति बिगड़ने के बावजूद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ न केवल स्थिति की निगरानी कर रहे हैं, बल्कि उन्होंने शनिवार को प्रभावित जिलों का हवाई सर्वेक्षण भी किया है।
मुख्यमंत्री ने महराजगंज में कहा, राज्य में किसी को भी उपेक्षित महसूस नहीं करना चाहिए क्योंकि इस कठिन समय में सरकार आपके साथ है। हमें आपके साथ है। और यही कारण है कि मैं यहां आपको तत्काल राहत प्रदान करने आया हूं।
जन-प्रतिनिधियों को राहत कार्यों को चलाने के लिए जिला प्रशासन से लगातार संपर्क में रहने को कहा गया है।
योगी आदित्यनाथ ने सभी 75 जिलों में नोडल अधिकारी नियुक्त किए हैं। उन्हें चार दिनों तक शिविर लगाने का निर्देश दिया है ताकि राहत, बचाव कार्यों को प्रभावी ढंग से व्यवस्था की जा सके और स्थिति की निगरानी की जा सके।
अधिकारियों को बाढ़ प्रभावित इलाकों में हाई अलर्ट पर रहने का निर्देश दिया गया है।
राज्य में करीब 18 जिलों के करीब 1,187 गांव बाढ़ प्रभावित हैं।
सरकार राज्य के बाढ़ प्रभावित जिलों में लोगों को खाद्यान्न उपलब्ध कराने, उन्हें सुरक्षित स्थानों पर ले जाने और उन्हें स्वास्थ्य देखभाल सुविधाएं प्रदान करने के लिए सक्रिय रूप से काम कर रहा है।
सरकार ने लगभग 6,050 नावों को तैनात किया है, जिसमें 360 मोटरबोट और 1,023 चिकित्सा दल शामिल हैं, जबकि 1,134 बाढ़ राहत शिविर, 1,321 बाढ़ चौकियाँ और 1,263 पशु राहत शिविर और बचाव कार्यों के लिए स्थापित किया गया हैं।
राहत आयुक्त रणवीर प्रसाद के मुताबिक सरकार की ओर से अब तक 1,29,349 से ज्यादा सूखे राशन किट बांटे जा चुके हैं।
राज्य सरकार अब तक प्रभावित लोगों को 4,39,257 लंच पैकेट बांट चुकी हैं।
राज्य सरकार ने भी लगभग 2,62,347 ओ.आर.एस. प्रभावित क्षेत्रों में पैकेट और क्लोरीन की 19,59,530 से अधिक गोलियां बांटी हैं।
राज्य के 42 जिलों में बाढ़ से निपटने के लिए राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (एनडीआरएफ), एसडीआरएफ और पीएसी सहित 66 से अधिक टीमों को तैनात किया गया है। ये टीमें प्रभावित गांवों में बाढ़ के प्रभाव को कम करने के लिए चौबीसों घंटे काम कर रहे हैं।