नई दिल्ली । प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने हुनर और कौशल के महत्व पर बल देते हुए कहा है कि इसका इस्तेमाल अपने जीवन तथा समाज के हित को ध्यान में रखकर लोगो का जीवन आसान बनाने के लिए किया जाना चाहिए। श्री मोदी ने रविवार को आकाशवाणी पर अपने मासिक रेड़ियो कार्यक्रम मन की बात में हुनर और कौशल के प्रति आ रही उदासीनता पर चिंता भी प्रकट करते हुए लोगों का आह्वान किया कि वे हुनरमंदों का सम्मान करें।
हुनर और कौशल को भगवना विश्वकर्मा की विरासत करार देते हुए उन्होंने कहा कि हुनरमंद लोगों के बिना जीवन की कल्पना भी नहीं की जा सकती लेकिन यह बड़ी चिंता की बात है कि हुनरमंद लोगों को कई बार छोटा समझा जाता है। विभिन्न कामगारों का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा, “ये सभी साथी अपनी स्किल की वजह से ही जाने जाते हैं। आधुनिक स्वरूप में ये भी विश्वकर्मा ही हैं। लेकिन साथियों इसका एक और पहलू भी है और वो कभी-कभी चिंता भी कराता है, जिस देश में, जहाँ की संस्कृति में, परंपरा में, सोच में, हुनर को, कुशल जनशक्ति को भगवान विश्वकर्मा के साथ जोड़ दिया गया हो, वहाँ स्थितियाँ कैसे बदल गई, एक समय, हमारे पारिवारिक जीवन, सामाजिक जीवन, राष्ट्र जीवन पर कौशल्य का बहुत बड़ा प्रभाव रहता था। लेकिन गुलामी के लंबे कालखंड में हुनर को इस तरह का सम्मान देने वाली भावना धीरे-धीरे विस्मृत हो गई। सोच कुछ ऐसी बन गई कि हुनर आधारित कार्यों को छोटा समझा जाने लगा। और अब आज देखिए, पूरी दुनिया सबसे ज्यादा हुनर यानि स्किल पर ही बल दे रही है।”
उन्होंने कहा, “भगवान विश्वकर्मा की पूजा भी सिर्फ औपचारिकताओं से ही पूरी नहीं हुई। हमें हुनर को सम्मान देना होगा, हुनरमंद होने के लिए मेहनत करनी होगी। हुनरमंद होने का गर्व होना चाहिए। जब हम कुछ ना कुछ नया करें, कुछ इन्नोवेट करें, कुछ ऐसा सृजित करें जिससे समाज का हित हो, लोगों का जीवन आसान बने, तब हमारी विश्वकर्मा पूजा सार्थक होगी। आज दुनिया में कुशल लोगों के लिए अवसरों की कमी नहीं है।”
प्रधानमंत्री ने कहा कि हुनर के साथ प्रगति के अनेक रास्ते तैयार हो रहे हैं लेकिन जरूरत उस ओर बढने की कुशल लोगों को सम्मान देने की है। उन्होंने लोगों का आह्वान किया, “आइये, इस बार हम भगवान विश्वकर्मा की पूजा पर आस्था के साथ-साथ उनके संदेश को भी अपनाने का संकल्प करें। हमारी पूजा का भाव यही होना चाहिए कि हम स्किल के महत्व को समझेंगे, और कुशल लोगों को, चाहे वो कोई भी काम करता हो, उन्हें पूरा सम्मान भी देंगे।”
श्री मोदी ने कहा ये समय आजादी के 75वें साल का है और इसमें हमें नये संकल्प लेने हैं तथा साथ में कोरोना जैसी महामारी से भी मुकाबला करना है। उन्होंने कहा, “इस साल तो हमें हर दिन नए संकल्प लेने हैं, नया सोचना है, और कुछ नया करने का अपना जज्बा बढ़ाना है। हमारा भारत जब आजादी के सौ साल पूरे करेगा, तब हमारे ये संकल्प ही उसकी सफलता की बुनियाद में नज़र आएंगे। इसलिए, हमें ये मौका जाने नहीं देना है। हमें इसमें अपना ज्यादा से ज्यादा योगदान देना है। और इन प्रयासों के बीच, हमें एक बात और याद रखनी है। दवाई भी, कड़ाई भी। देश में 62 करोड़ से ज्यादा वैक्सीन की खुराक दी जा चुकी है लेकिन फिर भी हमें सावधानी रखनी है, सतर्कता रखनी है।”