उच्चतम न्यायालय ने युवा वकीलों को मध्यस्थ नियुक्त करने के लिए बंबई उच्च न्यायालय की सराहना की

नई दिल्ली । उच्चतम न्यायालय ने युवा वकीलों को मध्यस्थ नियुक्त करने को लेकर बंबई उच्च न्यायालय की सराहना करते हुए कहा कि इससे इन वकीलों को वैकल्पिक विवाद निस्तारण तंत्र में प्रशिक्षण प्रदान करने में मदद मिलती है। न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति एम आर शाह की पीठ ने सिलेंडरों की कीमत तय करने संबंधी एक मध्यस्थता विवाद पर सुनवाई के दौरान शुक्रवार को कहा कि यह अच्छा है कि दोनों पक्ष प्रक्रिया के लिए एक समान नाम पर सहमत हुए हैं। पीठ ने कहा, ‘‘बंबई उच्च न्यायालय ने अब युवा जानकार वकीलों को न्यूनतम लागत पर मध्यस्थ के रूप में नियुक्त करने की परंपरा शुरू की है। ये युवा वकील उच्च न्यायालय द्वारा नियुक्त किया जाने को अपने लिए सम्मान की बात समझते हैं। वे मेहनत से काम करते हैं और दो-तीन बैठकों में उसे पूरा करते हैं। वे दूसरों की तुलना में शुल्क भी कम लेते हैं और वे बहुत बड़ा काम कर रहे हैं।’’ न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने एक घटना को याद किया, जब वह बंबई उच्च न्यायालय में न्यायाधीश थे और एक व्यक्ति को मध्यस्थ के रूप में नियुक्त किया गया था। उन्होंने कहा, ‘‘कुछ समय बाद ही दोनों पक्ष हमारे पास आए और उन्होंने हाथ जोड़कर कहा कि हम आपसे मध्यस्थ को बदलने का अनुरोध करते हैं। उन्होंने कहा कि मध्यस्थ अदालत द्वारा तय किए गए शुल्क से अधिक राशि मांग रहा है, इसलिए हमने निर्देश दिया कि निर्धारित राशि के अनुसार ही शुल्क लिया जाएगा। आप देखिए, यही समस्या है।’’ पीठ ने कहा कि जब वह मध्यस्थ नियुक्त करती है, तो वह विशेष रूप से उल्लेख करती है कि शुल्क निर्धारित राशि के अनुसार लिया जाएगा। सुप्रीम सिलिंडर्स लिमिटेड नामक एक कंपनी के वकील ने कहा कि 2017 से मध्यस्थता संबंधी कार्यवाही लंबित है। उन्होंने कहा कि अदालत द्वारा नियुक्त मध्यस्थ प्रत्येक बैठक के लिए शुल्क लेने के बावजूद किसी न किसी बहाने से बार-बार कार्यवाही स्थगित कर रहा है।

उन्होंने अदालत से कहा कि बेहतर होगा कि कोई अन्य एकल मध्यस्थ नियुक्त किया जाए और मामले को स्थगित किए बिना फैसला किया जाए। वकील ने कहा कि वह चाहते हैं कि भारत पेट्रोलियम सिलेंडरों की कीमत तत्काल तय करे, क्योंकि मध्यस्थता की कार्यवाही के बार-बार स्थगित होने के कारण उनके मुवक्किल का व्यवसाय प्रभावित हो रहा है।

सभी पक्षों की दलीलें सुनने के बाद शीर्ष अदालत ने आदेश दिया, ‘‘24 अप्रैल, 2017 को इस न्यायालय द्वारा नियुक्त किए गए मध्यस्थ के स्थान पर पक्षों के बीच सभी विवादों और मतभेदों को न्यायमूर्ति नरेश एच पाटिल की एकमात्र मध्यस्थता के लिए भेजा जाता है।’’ पीठ ने कहा कि कार्यवाही पिछले मध्यस्थ के समक्ष पहुंचे चरण से शुरू होगी और पहले से ही रिकॉर्ड में मौजूद सबूतों के आधार पर अंतिम दलीलें सुनने के बाद मध्यस्थ निर्णय लेगा।

शीर्ष अदालत ने कहा कि मध्यस्थता की कार्यवाही में जिस चरण पर पहुंचा गया है, उसे देखते हुए मध्यस्थ का शुल्क एकमुश्त 15 लाख रुपये तय किया गया है। वादी और प्रतिवादी पक्ष मिलकर इस राशि का भुगतान करेंगे। पीठ ने कहा, ‘‘मध्यस्थता की कार्यवाही 2017 से लंबित है, इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए नव नियुक्त मध्यस्थ से अनुरोध है कि वह कार्यवाही में तेजी लाए और इस आदेश की प्रमाणित प्रति प्राप्त होने की तारीख से चार महीने के भीतर कार्यवाही पूरी करें।’’

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