मुथैया मुरलीधरन ने किया खुलासा, सचिन तेंदुलकर से नहीं बल्कि इस भारतीय खिलाड़ी से लगता था डर

नई दिल्ली, अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में सबसे ज्यादा विकेट लेने का रिकार्ड श्रीलंका के महान गेंदबाज मुथैया मुरलीधरन के नाम हैं, जिन्होंने टेस्ट क्रिकेट में अकेले 800 लेने का विश्व रिकार्ड बनाया हुआ है। मुरलीधरन वनडे इंटरनेशनल क्रिकेट में भी सबसे ज्यादा विकेट लेने वाले गेंदबाज हैं। ऐसे में आपको एक बात जानकर हैरानी होगी कि भले ही मुरलीधरन कितने ही धाकड़ गेंदबाज रहे हों, लेकिन एक भारतीय खिलाड़ी ने उनको बहुत परेशान किया है, जिसका खुलासा खुद मुथैया मुरलीधरन ने किया है और बताया है कि वो भारतीय खिलाड़ी क्यों अलग था।

दरअसल, मुथैया मुरलीधरन ने क्रिकइंफो पर आकाश चोपड़ा के साथ एक शो में बात करते हुए बताया कि उन्हें गेंदबाजी करते समय सर्वश्रेष्ठ तकनीक वाले बल्लेबाज सचिन तेंदुलकर से जितनी परेशानी नहीं हुई, उतनी परेशानी उनके लिए वीरेंद्र सहवाग ने खड़ी की थी। मुरली ने बताया कि वीरेंद्र सहवाग को गेंदबाजी करते हुए वे डरते थे, क्योंकि सहवाग ही एकमात्र बल्लेबाज थे, जो निडर होकर क्रिकेट खेलते थे। भले ही वे दिन की पहली गेंद खेल रहे हों या फिर 98 या 99 रन पर बल्लेबाजी कर रहे हों, वे हमेशा खराब गेंद को बाउंड्री पार भेजने के लिए तैयार रहते थे।

श्रीलंका टीम के महान गेंदबाज ने ये भी बताया कि उनको ब्रायन लारा के सामने भी गेंदबाजी करने में डर लगता था, क्योंकि वे भी अच्छी क्रिकेट खेलते थे और किसी भी दिशा में मार सकते थे। मुरलीधरन से आकाश चोपड़ा ने पूछा कि सहवाग ऐसे खिलाड़ी नहीं थे, जो कि रक्षात्मक अंदाज में खेलें तो आप उन्हें कैसे आउट करने की सोचते थे? इस पर मुरली ने कहा,”वीरेंद्र सहवाग के लिए हम डीप फील्डर्स रखते थे। मुझे पता था कि वे चांस लेंगे। ब्रायन लारा की तरह नहीं कि वे आपका सम्मान करेंगे, लेकिन वीरेंद्र सहवाग के मामले में ऐसा नहीं था।”

मुरलीधरन ने बताया, “सहवाग का मानना होता था कि उनके पास दो घंटे हैं और उनको 150 रन बनाने हैं। उनका एटिट्यूड ऐसा होता था। अगर मैं एक दिन खेल गया तो मैं 300 रन बना सकता हूं। ऐसे में अगर वो लंच के बाद आउट हो जाते थे तो भी 150 रन बना देते थे। उनका स्वभाव ऐसा था। वह ये भी नहीं सोचते थे कि वे 94 पर बल्लेबाजी कर रहे हैं या 98 पर। ऐसे में बाकी बल्लेबाज एक या दो रन लेने की सोचते थे, लेकिन सहवाग छक्का जड़ने की सोचते थे। उनको इस बात की परवाह नहीं होती थी कि उनका शतक पूरा होगा या नहीं। वे गिलक्रिस्ट और सनथ जयसूर्या की तरह मैच विनर थे।”

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