अफगानिस्तान पर कब्जा जमाते ही तालिबान ने किसी से बदला न लेने का वादा किया था, लेकिन उसका यह वादा महज दुनिया की आंखों में धूल झोंकना था। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, तालिबानी आतंकी अफगानिस्तान में घर-घर जाकर उनकी तलाशी कर रहे हैं जो अमेरिकी फौजों के मददगार रहे हैं। सामने न आने पर तालिबान उनके परिवार वालों की हत्या तक कर रहा है। 
अमेरिकी सेना के सेवानिवृत्त अधिकारी रेयॉन रोजर्स ने बताया कि उन्होंने 2010 में जिस दुभाषिए के साथ काम किया था, उसे तालिबानियों ने काबुल एयरपोर्ट पर पकड़ लिया और पूर्व अफगानी कमांडर को मार दिया।
पत्रकारों की हत्या कर रहा तालिबान
अफगानिस्तान में विदेशी मीडिया हाउस के लिए काम करने वाले पत्रकारों को भी तालिबान अपना निशाना बना रहा है। रिपोर्ट्स के अनुसार एक जर्मन न्यूज चैनल के पत्रकार को तालिबान ढूंढ रहा है। कुछ आतंकियों ने उसके घर में जाकर तलाशी भी ली। पत्रकार के न मिलने पर परिवार के एक सदस्य की हत्या भी कर दी गई। इससे पहले भारत के पुलित्जर अवार्ड विजेता दानिश सिद्दकी की हत्या भी तालिबान ने की थी। इसके अलावा अमदादुल्लाह हमदर्द की भी दो अगस्त को हत्या कर दी गई थी।
मौत का मैदान अफगानिस्तान
अफगानिस्तान में दो दशकों से छिड़ी जंग में करीब 2.41 लाख लोग जान गवां चुके हैं। अमेरिका के ब्राउन यूनिवर्सिटी की ताजा रिपोर्ट कॉस्ट्स ऑफ वार (युद्ध की कीमत) शीर्षक से प्रकाशित रिपोर्ट में बताया गया है कि अफगानिस्तान और पाकिस्तान के बीच पहाड़ी क्षेत्र में 2,670 किलोमीटर की सीमा है। जहां अमेरिकी सेना ने सबसे अधिक ड्रोन हमले करने के साथ-साथ आमने-सामने की लड़ाई लड़ी है। इस लड़ाई में अफगानिस्तान और पाकिस्तान सीमा के बीच 71,344 स्थानीय लोगों की मौत हुई है। इसमें से 47,245 स्थानीय लोगों की मौत अफगानिस्तान में जबकि 24,099 लोगों की मौत पाकिस्तान में हुई है।
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