कुंडली और तंजावुर के खाद्य प्रौद्योगिकी संस्थानों को राष्ट्रीय दर्जा देने के विधेयक को राज्यसभा की मंजूरी

 

 

नई दिल्ली । हरियाणा के कुंडली और तमिलनाडु के तंजावुर के खाद्य प्रौद्योगिकी संस्थानों को राष्ट्रीय स्तर का दर्जा देने वाले ‘राष्ट्रीय खाद्य प्रौद्योगिकी उद्यमिता एवं प्रबंधन संस्थान विधेयक, 2021’ को सोमवार को राज्यसभा ने ध्वनिमत से मंजूरी दे दी।
यह विधेयक फरवरी 2019 को राज्यसभा में पेश किया गया था जिससे बाद में स्थायी समिति को भेज दिया गया था।
सदन में विधेयक पर हुई संक्षिप्त चर्चा का उत्तर देते हुए कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि इस विधेयक में कुंडली और तंजावुर में स्थित खाद्य प्रौद्योगिकी क्षेत्र के दो संस्थानों को राष्ट्रीय महत्व के संस्थान का दर्जा देने का प्रावधान किया गया है। यह दर्जा पाने से इन संस्थानों को नये अभिनव पाठ्यक्रम शुरू करने से पहले कामकाजी स्वायत्तता मिलेगी। ये संस्थान वैश्विक स्तर के बन सकेंगे। इन्हें भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान एवं भारतीय प्रबंधन संस्थान के समान हो जाएगें।
वर्तमान में हरियाणा के कुंडली में स्थित राष्ट्रीय खाद्य प्रौद्योगिकी, उद्यमिता एवं प्रबंधन संस्थान तथा तंजावुर में स्थित भारतीय खाद्य प्रसंस्करण प्रौद्योगिकी संस्थान सोसाइटी पंजीकरण कानून, 1860 के तहत पंजीकृत हैं। ये संस्थान स्वायत्तशासी संस्थाओं में काम कर रहे हैं।
चर्चा में हिस्सा लेते हुए कांग्रेस के एल हनुमंतैया नेकहा कि हमारे देश में कृषि क्षेत्र की प्रधानता को देखते हुए खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र को बढावा देने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि दुग्ध आदि को यदि छोड़ दें तो अन्य खाद्य पदार्थों के प्रसंस्करण के मामले में देश बहुत पीछे है और इसे बढाये जाने की सख्त जरूरत है। इससे एक तो कुपोषण की समस्या से निजात मिल सकती है तो दूसरी ओर रोजगार के अवसर भी बढेंगे। उन्होंने कहा कि इसमें स्थायी समिति की कुछ सिफारिशों की अनदेखी की गयी है और उन्हें ध्यान में रखते हुए इन संस्थानों में गरीब छात्रों की फीस माफ करने तथा अनुसूचित और अनुसूचित जनजाति एवं अन्य वर्गों को आरक्षण दिया जाना चाहिए।

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