प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ज्ञान भारतम पोर्टल का शुभारंभ किया, जो एक समर्पित डिजिटल प्लेटफॉर्म है जिसका उद्देश्य पांडुलिपियों के डिजिटलीकरण, संरक्षण और सार्वजनिक पहुंच में तेजी लाना है। नरेंद्र मोदी ने कहा कि मैंने कुछ दिन पहले ज्ञान भारतम मिशन की घोषणा की थी और आज हम ज्ञान भारतम अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि यह कोई सरकारी या अकादमिक आयोजन नहीं है, बल्कि यह भारतीय संस्कृति, साहित्य और चेतना का उद्घोष है। मैं ज्ञान भारतम मिशन के शुभारंभ के लिए देश के सभी नागरिकों को बधाई देता हूं।
मोदी ने कहा कि आज विज्ञान भवन, भारत के स्वर्णिम अतीत के पुनर्जागरण का साक्षी बन रहा है। कुछ ही दिन पहले मैंने ज्ञान भारतम् मिशन की घोषणा की थी, और इतने कम समय में आज हम ज्ञान भारतम् इंटरनेशनल कॉन्फ्रेंस का आयोजन कर रहे हैं। इससे जुड़ा पोर्टल भी लॉन्च किया गया है। उन्होंने कहा कि ये एक सरकारी या एकेडेमिक इवेंट नहीं है। ज्ञान भारतम् मिशन, भारत की संस्कृति, साहित्य और चेतना का उद्घोष बनने जा रहा है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि हजारों पीढ़ियों का चिंतन मनन, भारत के महान आचार्यों और विद्वानों का बोध और शोध, हमारी ज्ञान परंपराएं, हमारे वैज्ञानिक धरोहरें— ज्ञान भारतम् मिशन के जरिए हम उन्हें डिजिटाइज्ड करने जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि आज भारत के पास दुनिया का सबसे बड़ा हस्तलिपि संग्रह है। करीब 1 करोड़ हस्तलिपि हमारे पास हैं। इतिहास के क्रूर थपेड़ों में लाखों हस्तलिपि जल गईं, लुप्त हो गईं, लेकिन जो बची हैं, वे इसका साक्षी हैं कि ज्ञान और विज्ञान पठन पाठन के लिए हमारे पूर्वजों की निष्ठा कितनी गहरी और व्यापक थीनरेंद्र मोदी ने कहा कि भारत की ज्ञान परंपरा आज तक इतनी समृद्ध है, क्योंकि इसकी नींव 4 मुख्य पिलर्स पर आधारित हैं। ये हैं संरक्षण, नवाचार, परिवर्धन और अनुकूलन। उन्होंने कहा कि भारत स्वयं में एक जीवंत प्रवाह है, जिसका निर्माण उसके विचारों, आदर्शों और मूल्यों से हुआ है। भारत की प्राचीन पांडुलिपियों में हमें भारत के निरंतर प्रवाह की रेखाएं देखने को मिलती हैं। ये पांडुलिपियां हमारी विविधता में एकता का घोषणा पत्र भी हैं।
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