सेबी का बड़े आईपीओ के लिए नियमों में ढील देने का प्रस्ताव, अपंजीकृत सलाहकारों पर कार्रवाई तेज

भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने मंगलवार को कहा कि वह बड़े आरंभिक सार्वजनिक निर्गम (आईपीओ) को आसान बनाने और धोखाधड़ी के खिलाफ निवेशकों की सुरक्षा को मजबूत करने के लिए महत्वपूर्ण सुधार कर रहा है।

सेबी के पूर्णकालिक निदेशक कमलेश चंद्र वार्ष्णेय ने कहा कि नियामक ने एक परामर्श पत्र जारी किया है, जिसमें अत्यधिक बड़ी कंपनियों के लिए 25 प्रतिशत सार्वजनिक शेयरधारिता को हासिल करने की समयसीमा बढ़ाकर 10 वर्ष करने का प्रस्ताव है।

इस समय कंपनियों को सूचीबद्ध होने के पांच वर्षों के भीतर इस आवश्यकता को पूरा करना होता है। उन्होंने कहा कि इस ढील से नेशनल स्टॉक एक्सचेंज जैसे बड़े आईपीओ को लाना अधिक आसान हो जाएगा।

वार्ष्णेय ने आगे कहा कि सेबी मर्चेंट बैंकर और एंकर निवेशकों को आईपीओ के लिए यथार्थवादी मूल्यांकन अपनाने की सलाह दे रहा है, ताकि सूचीबद्ध होने के बाद कीमतों में गिरावट से बचा जा सके। उन्होंने कहा कि इस तरह की गिरावट से खुदरा निवेशकों का भरोसा कम हो सकता है।

सेबी उन अपंजीकृत निवेश सलाहकारों और वित्तीय मामलों में प्रभाव डालने की क्षमता रखने वाले लोगों के खिलाफ भी अपनी कार्रवाई तेज कर रहा है, जो सोशल मीडिया के जरिये खुदरा निवेशकों को गुमराह करते हैं।

वार्ष्णेय ने कहा कि नियामक ने विज्ञापन सत्यापन प्रक्रिया के लिए मेटा के साथ साझेदारी की है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि केवल पंजीकृत इकाइयां ही बाजार से संबंधित सामग्री का प्रचार करें। उन्होंने कहा कि दूसरे मंचों के साथ भी इस तरह की साझेदारी करने पर काम जारी है।

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