साल 2023 में मालदीव में एक इंडिया आउट कैंपेन शुरू हुआ था। इसका मकसद भारत को मालदीव की आतंरिक राजनीति से बाहर रखना था। नई सरकार बनी और मोहम्मद मुइज्जू राष्ट्रपति के रूप में सत्ता में आए। ऐसा लगा कि मालदीव भारत से दूर होकर चीन की तरफ झुक जाएगा। लेकिन फिर साल 2025 आते आते ये पूरा परिदृश्य बदल चुका है। अब तस्वीरें कुछ ऐसी है कि मालदीव के राष्ट्रपति खुद एयरपोर्ट पर पीएम मोदी का स्वागत करने पहुंचे। प्रधानमंत्री का दो दिनों का मालदीव का दौरा है। एयरपोर्ट पर जब वो पहुंचे तो उनका भव्य अंदाज में स्वागत किया गया। खुद मालदीव के राष्ट्रपति मुइज्जू पीएम मोदी के स्वागत के लिए मौजूद थे। आपको बता दें कि मुइज्जू स्वतंत्रता दिवस के मुख्य अतिथि भी होने वाले हैं। मालदीव के संस्कृति की झलक भी वहां देखने को मिली है। जब पीएम मोदी का विमान मालदीव में लैंड करता है और वो प्लेन से बाहर निकलते हैं इस दौरान भारतीय समुदाय के लोग वंदे मातरम के नारे लगाते नजर आते हैं। यानी दो साल से कम समय में भी मोइज्जू की बायकॉट इंडिया की नीति, ‘वेलकम मोदी’ में तब्दील हो गई।
यूपीआई और एफटीए वार्ता पर ध्यान केंद्रित
इस यात्रा का एक प्रमुख आकर्षण मालदीव में भारत की एकीकृत भुगतान इंटरफ़ेस (यूपीआई) सेवाओं की संभावित शुरुआत है, जिसे वित्तीय संपर्क को और मज़बूत करने की दिशा में एक कदम माना जा रहा है। इसके अलावा, भारत और मालदीव 2025 के लिए एक मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) पर भी चर्चा शुरू कर सकते हैं। दोनों देशों ने इससे पहले 1981 में एक व्यापार समझौते पर हस्ताक्षर किए थे।
द्विपक्षीय व्यापार में वृद्धि
यहाँ यह ध्यान देने योग्य है कि भारत और मालदीव के बीच द्विपक्षीय व्यापार 2023 में लगभग 548 मिलियन डॉलर तक पहुँच गया, जो 2020 में दर्ज 245 मिलियन डॉलर के दोगुने से भी अधिक है। भारत मुख्य रूप से मालदीव से स्क्रैप धातु का आयात करता है, जबकि इंजीनियरिंग उत्पाद, दवाइयाँ, सीमेंट, चावल, मसाले, फल, सब्जियाँ और मुर्गी जैसे कृषि उत्पादों सहित कई प्रकार की वस्तुओं का निर्यात करता है।
चीन के प्रभाव के बीच रणनीतिक प्रगति
आर्थिक जुड़ाव मालदीव के चीन के साथ मौजूदा मुक्त व्यापार समझौते (FTA) की पृष्ठभूमि में विशेष रूप से महत्वपूर्ण है, जो 1 जनवरी से लागू हुआ है। व्यापार और रणनीतिक सहयोग पर भारत का नया ध्यान एक महत्वपूर्ण मोड़ पर है। प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति मुइज़ू द्वारा व्यापक आर्थिक और समुद्री सुरक्षा साझेदारी की समीक्षा करने की भी उम्मीद है, जिसे अक्टूबर 2024 में औपचारिक रूप दिया गया था। इस समीक्षा में हिंद महासागर में समुद्री सहयोग और क्षेत्रीय सुरक्षा के विभिन्न पहलुओं को शामिल किए जाने की उम्मीद है।
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