पंचायत चुनाव के लिए सभी पदों के आरक्षण और इन पदों की सीटों के आवंटन की फाइनल लिस्ट का प्रकाशन हाईकोर्ट द्वारा रोके जाने के फरमान के बाद ग्रामीण इलाकों में कहीं खुशी कहीं गम का माहौल है। तय कर दिए गए आरक्षण को अपने अनुकुल पाकर जिन भावी प्रत्याशियों, उनके कार्यकर्ताओं व समर्थकों ने चुनाव जीतने के लिए धुंआधार प्रचार शुरू कर दिया था उनके खेमों में मायूसी और फिक्र का माहौल है मगर इस आरक्षण से चुनाव लड़ने से वंचित ऐसे लोग जो काफी पहले से तैयारी कर रहे थे हाईकोर्ट के शुक्रवार को जारी आदेश ने उनके खेमों में खुशी और उम्मीद पैदा कर दी है।
बीती 2 व 3 मार्च को जारी हुई आरक्षण और सीटों के आवंटन की पहली लिस्ट के प्रकाशन के बाद अपने मुताबिक सीट आरक्षित हो जाने से खुश भावी प्रत्याशियों ने चुनाव की तैयारी शुरू कर दी थी मगर ग्राम प्रधान, ग्राम-क्षेत्र-जिला पंचायत सदस्य, ब्लाक प्रमुख व जिला पंचायत अध्यक्ष पद के इन भावी प्रत्याशियों के जुड़े हुए हाथ हाईकोर्ट के इस नये फरमान से कांप उठे। वोटरों को अपने पक्ष में करने के लिए इन भावी उम्मीदवारों ने चुनाव शुरू होने से पहले ही मजरे-मजरे, गांव-गांव समर्थकों व कार्यकर्ताओं के साथ जन सम्पर्क शुरू कर दिया था।
गाड़ियों के काफिले घूमने लगे थे। वोटरों को रिझाने के लिए उनकी जरूरतों को हर सम्भव पूरा करने के लिए पैसा, शराब, गाड़ी, चाय नाश्ते से लेकर खाना-पीना सब मुहैया करवाया जा रहा था। समर्थकों और कार्यकर्ताओं पर भावी प्रत्याशी खुले दिल से खर्च कर रहे थे। मगर अचानक अदालत के नये आदेश ने इन सब पर ब्रेक लगा दी। अब सबको सोमवार को होने वाली अदालती सुनवाई का बेसब्री से इंतजार है।
लखनऊ के मोहनलालगंज विकासखंड से ब्लाक प्रमुख का चुनाव लड़ने की तैयारी करने वाले भाजपा के सक्रिय कार्यकर्ता रत्नेश मौर्य 3 मार्च को आरक्षण की पहली लिस्ट में उक्त सीट सामान्य वर्ग के लिए आरक्षित हो जाने से मायूस हो गये थे। मगर हाईकोर्ट के ताजा आदेश ने उनमें फिर उम्मीद जगा दी है।
मोहनहलालगंज के समेसी के वार्ड नम्बर 3,4,5 से क्षेत्र पंचायत सदस्य की सीट ओबीसी के लिए आरक्षित हो जाने से रंजीत यादव बहुत खुश थे और अपना जनसम्पर्क भी शुरू कर दिया था, मगर हाईकोर्ट के आदेश ने उनकी चिंता बढ़ा दी है।