अलीगढ़ । अनियोजित विकास का ये भी एक उदाहरण है। नगर निगम ने भमाेला आलमबाग में कुछ साल पहले सड़कें तो पक्की करा दीं, लेकिन जल निकासी के इंतजाम पर नगर निगम के अफसरों ने ध्यान नहीं दिया। अफसरों की यही हीलाहवाली स्थानीय लोगाें के जी का जंजाल बनी हुई है। यहां बिन बारिश जलभराव के हालात हैं। नाला ओवरफ्लो हो जाए तो गलियों पर पानी भरना तय है। स्थानीय लाेग कई बार ये मुद्दा उठा चुके हैं। पार्षद ने भी बोर्ड बैठकों में पैरवी की। लेकिन, कुछ हो न सका। अब लोग मकान बेचकर कहीं और रहने का विचार कर रहे हैं।
सिविल लाइंस क्षेत्र में वार्ड नंबर 35 के इस इलाके में आठ-नौ साल पहले कुछ गलियां पक्की कराई थीं। कहीं इंटरलाकिंग हुई तो कहीं खड़ंजा। तब इतनी आबादी भी नहीं थी। आबादी बढ़ने लगी तो ड्रेनेज सिस्टम पर बोझ बढ़ गया। उधर, नालों की सफाई में भी औपचारिकता बरती जाने लगी।
स्थिति ये बन गई कि नालियां चोक होने लगी। नालियों का पानी सड़कों पर बहने लगा। अब तो हालात और बुरे हैं। बारिश के इन दिनों में जलभराव की विकराल समस्या पैदा हो गई है।
मुख्य नाला गंदगी से अटा पड़ा है। नाले की निकासी अवरुद्ध होने से नालियों में भी बहाव नहीं है। घरों के आगे पानी भर रहा है। मच्छर और जहरीले कीट लोगों का यहां रहना दुश्वार किए हुए हैं।
क्षेत्रीय पार्षद माेहम्मद शाकिर ने बताया कि इस संबंध में कई बार शिकायत करने के बाद भी कुछ नहीं हुआ है। वार्ड में जलभराव की विकराल समस्या से लोग परेशान हैं। सड़कों में गड्ढे हो चुके हैं। नालियां ढह गई हैं।
क्षेत्रीय लोग कह रहे हैं कि मकान बेचकर कहीं और जाकर रहेंगे, जहां जलभराव की समस्या ना हो। लोगों का घर से बाहर निकलना मुश्किल हो गया है। उन्हें बीमारियों से जूझना पड़ रहा है। लेकिन, नगर निगम इस और कोई ध्यान नहीं दे रहा। अलीगढ़ को स्मार्ट सिटी बनाने के दावे किए जा रहे हैं, धरातल पर कुछ भी नहीं हो रहा।
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