दक्षिण अफ्रीकी टीम फिर साबित हुई ‘चोकर्स’,

दिल्ली । दक्षिण अफ्रीका की टीम एक बार फिर चोकर्स साबित हुई। यह टीम आईसीसी चैंपियंस ट्रॉफी के सेमीफाइनल मैच में न्यूजीलैंड के खिलाफ 50 रनों से हार गई। इस तरह से आईसीसी नॉकआउट मैचों में प्रोटियाज के हारने का सिलसिला जारी है। डेविड मिलर के तेज शतक के बावजूद दक्षिण अफ्रीका के लिए न्यूजीलैंड द्वारा दिया गया 363 रनों का टारगेट एवरेस्ट सरीखा साबित हुआ।
दक्षिण अफ्रीका को चोकर्स ऐसे ही नहीं कहा जाता है। यह टीम आईसीसी टूर्नामेंट के सेमीफाइनल मैचों में 9 बार हार चुकी है। यह रिकॉर्ड दबाव में दक्षिण अफ्रीका का बार-बार हारना बताता है। इस टीम को सिर्फ एक बार ही सेमीफाइनल में जीत मिली है।

आईसीसी वनडे टूर्नामेंट में दक्षिण अफ्रीका ने अभी तक 11 सेमीफाइनल मैच खेले हैं। वह 9 बार हारे और एक बार 1998 में श्रीलंका के खिलाफ ढाका में उन्हें जीत मिली थी। यह भी आईसीसी चैंपियंस ट्रॉफी का ही मुकाबला था। इस मैच और प्रतियोगिता को छोड़ दिया जाए तो आईसीसी टूर्नामेंट में दक्षिण अफ्रीका अपनी क्रिकेट क्षमता के साथ न्याय नहीं कर पाया है।

यह सही है कि बड़ी प्रतियोगिताओं के इतने सेमीफाइनल खेलना भी दक्षिण अफ्रीका की क्रिकेट काबिलियत के एक पहलू को दिखाता है लेकिन 9 बार सेमीफाइनल हारना बताता है कि इस टीम को दबाव में बेहतर प्रदर्शन की सख्त दरकार है। दक्षिण अफ्रीका और ऑस्ट्रेलिया के बीच 1999 के क्रिकेट विश्व कप में एजबेस्टन में हुआ सेमीफाइनल मुकाबला टाई हुआ था। यह दबाव के क्षणों में बिखरने का एक और क्लासिक उदाहरण है। अंतिम क्षणों में लांस क्लूजनर की जबरदस्त बल्लेबाजी के बावजूद एलन डोनाल्ड का रन आउट प्रोटियाज को बहुत महंगा साबित हुआ था। पिछले प्रदर्शन के आधार पर ऑस्ट्रेलिया को न सिर्फ फाइनल में प्रवेश मिला बल्कि कंगारूओं ने वह प्रतियोगिता भी जीती थी।

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