जयपुर। राजस्थान भाजपा में इन दिनों सब कुछ सामान्य नहीं दिख रहा। कृषि मंत्री किरोड़ी लाल मीणा को अनुशासनहीनता का नोटिस मिलने के बाद उनके समर्थकों में हलचल मची हुई है। इस पर भाजपा प्रदेशाध्यक्ष मदन राठौड़ ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा—”उनके समर्थकों को उग्र होने की जरूरत नहीं है। हम सब एक हैं। सभी साथ बैठते हैं, चर्चा करते हैं। यह हमारे परिवार का मामला है।”
राठौड़ के इस बयान से दो अहम पहलू उभरते हैं—
‘परिवार’ की बात, लेकिन अंदरूनी कलह जारी?
अगर मामला सचमुच परिवार का है, तो सवाल उठता है कि पार्टी के भीतर असहमति और असंतोष इस स्तर तक क्यों पहुंचा कि सार्वजनिक रूप से नोटिस जारी करना पड़ा? क्या यह केवल अनुशासन बनाए रखने का मामला है, या पार्टी के भीतर गहराते गुटबाजी के संकेत हैं?
समर्थकों को शांत रहने की सलाह या अप्रत्यक्ष संदेश?
राठौड़ ने स्पष्ट रूप से कहा कि किरोड़ी के समर्थकों को उग्र होने की जरूरत नहीं। यह बात इसलिए अहम है क्योंकि किरोड़ी लाल मीणा राजस्थान में एक मजबूत जनाधार वाले नेता हैं और उनका प्रभाव आदिवासी इलाकों में काफी गहरा है। अगर उनके समर्थक इस फैसले को अन्याय के रूप में देखते हैं, तो पार्टी के लिए इसे संभालना मुश्किल हो सकता है।
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