महाकुंभ के कारण भारत की चमक बिखेरी जा रही है। भारत की क्षमता और सांस्कृति-आध्यात्मिक धरोहर को महाकुंभ के जरिए फैलाया जा रहा है। दुनिया को जानकर ये हैरानी होगी कि ऑस्ट्रेलिया की आबादी से अधिक लोग संगम में डुबकी लगा चुके है। मगर कई हिंदू विरोधी ऐसे भी हैं जिनकी नजरों में ये खटक रहा है।
महाकुंभ में दुनिया के 15 लाख से अधिक लोग धार्मिक पवित्रता को महसूस करने के लिए आ रहे है। महाकुंभ में हुए पहले शाही स्नान को लेकर ट्रेनों से भारी संख्या में लोग प्रयागराज पुहंचे थे। इसी बीच रिपोर्ट आी है कि इन श्रद्धालुओं को अपने ही देश में निशाना बनाया गया है। इस तरह से कई यात्रियों की जान बच गई है।
गंगा ताप्ती एक्सप्रेस पर हमला
महाकुंभ की शुरुआत होने से पहले यानी 12 जनवरी, 2025 को ये घटना घटी है, जो गंगा ताप्ती एक्सप्रेस की है। इस दिन गंगा ताप्ती एक्सप्रेस ट्रेन जिस समय महाराष्ट्र के जलगांव से निकली थी, तभी एसी कोच के शीशों पर पत्थरों की बारिश की गई थी। इस हमले में कई यात्री बाल बाल बच गए थे। इस ट्रेन में यात्रा करने वाले श्रद्धालुओं का कहना था कि आरोपी ये जानते थे कि पूरी ट्रेन कुंभ में जाने वाले यात्रियों से भरी है। इस दौरान एक पीड़ित श्रद्धालु ने बताया कि हम सूरत से प्रयागराज महाकुंभ में हिस्सा लेने जा रहे है। शाही स्नान के लिए पहली ट्रेन लेकर परिवार के साथ वहां पहुंचना था। इसी बीच जलगांव ने निकलने के बाद अचानक पत्थर फेंका गया। पत्थर अगर कोच के अंदर आ जाता तो श्रद्धालुओं को लग सकता था। हमारी तत्काल सुरक्षा होनी चाहिए। दिन में ये स्थिति है तो रात में हश्र और अधिक खराब होता।
इससे पहले महाराष्ट्र के ही भुसावल-नंदूरबार पैसेंजर ट्रेन पर भी 13 जुलाई, 2024 को पत्थरबाजी हुई थी। ये घटना जलगांव जिले के अमलनेर हाल्ट के पास हुई थी जहां ट्रेन को चेन खींचकर रोका गया था। कई असामाजिक तत्वों ने इस घटना को अंजाम दिया था। ऐसी ही अन्य घटना 12 फरवरी, 2024 को हुई थी जब सूरत-अयोध्या आस्था एक्सप्रेस पर पत्थरबाजी महाराष्ट्र में हुई थी। इस ट्रेन में श्रद्धालु थे जो अयोध्या रामलला के दर्शन को जा रहे थे।
कारसेवकों को जलाया
वर्ष 2002 में 27 फरवरी को हुई घटना का जिक्र आज भी किया जाता है जब सूरत-छपरा गंगा ताप्ती एक्सप्रेस ट्रेन पर प्रयागराज महाकुंभ में जाने वाले यात्रियों की ट्रेन पर पत्थरबाजी हुई थी। गुजरात के गोधरा स्टेशन पर हुई इस घटना में साबरमती ट्रेन को आग के हवाले कर दिया गया था, जिसे कोई भूल नहीं सका है। इस हादसे में मुस्लिम कट्टरपंथियों ने ट्रेन के कोच को आग में झोंक दिया था। इस ट्रेन में बैठे 59 कारसेवक जिंदा जल गए थे और कोई जीवित नहीं बचा था। मुस्लिम कट्टरपंथियों ने बर्बर्ता को अधिक करते हुए कोच के दरवाजे भी बाहर से बंद कर दिए थे ताकि कोई बाहर निकलने की कोशिश ना कर सके।
ट्रेन पर हमला पैटर्न का हिस्सा
महाकुंभ के दौरान हाल ही में ट्रेन पर हुई पत्थरबाजी की घटना सोची-समझी साजिश लगती है। ये एक तरह का पैटर्न है, जो वर्षों से अपनाया जा रहा है, जिसके जरिए हिंदुओं की आस्था को कमजोर किया जा सके। इन घटनाओं के पीछे तुष्टिकरण की राजनीति को भी जिम्मेदार माना जा सकता है। अब ये देश के लिए खतरा पैदा करने लगी है। ये घटनाएं साबित करती हैं कि कट्टरपंथी मुसलमानों के एजेंडे भी सामने आ रहे है।
अतिक्रमण भी बन रहा खतरा
इसी बीच ये भी देखने में आया है कि रेलवे लाइन के आसपास अतिक्रमण किया जा रहा है। ये एक बहुत ही गंभीर समस्या है। अतिक्रमण करने वालों में मुस्लिम समुदाय के लोग शामिल है। इन इलाकों में समाजरोधि काम किए जाने की खबरें सामने आती रहती है।
हिंदू उत्सवों-त्योहारों पर घटनाएं बढ़ी
आस्था से जुडे हिंदु कार्यक्रमों के दौरान भी ऐसी घटनाओं की संख्या बढ़ती जा रही है। हिंदुओं के उत्सव, त्योहारों के समय में भी हमले की घटनाएं बढ़ी है जो अब सिर्फ तीर्थयात्रियों को परेशान करने तक सीमित नहीं है। ये बेहद चिंताजनक विषय है।
बहराइच में हुई हत्या
बीते वर्ष अक्टूबर 2024 के दौरान उत्तर प्रदेश के बहराइच में 22 वर्षीय हिंदू यूवक को गोलियों से भून दिया गया था क्योंकि उसने हिंदुओं के धार्मिक जुलूस में हिस्सा लिया था। मीडिया रिपोर्ट्स में सामने आया था कि आरोपियों ने युवक के साथ दरिंदगी की हदों को पार करते हुए उसके नाखून तक उखाड़ लिए थे।
हरियाणा के नूंह में सामने आया मामला
वर्ष 2023 के अगस्त महीने में हरियाणा के नूंह में ब्रजमंडल यात्रा के दौरान ऐसा हमला देखने को मिला था। इसके बाद सांप्रदायिक हिंसा बढ़ी थी। धार्मिक यात्रा विश्व हिंदू परिषद की ओर से आयोजित हुई थी। वहीं बीते कुछ वर्षों में देखने को मिला है कि देश के कई हिस्सों में रामनवमी, हनुमान जयंती, दुर्गा विसर्जन के दौरान पत्थरबाजी की घटनाएं हुई है।