उत्तराखंड पुलिस ने ‘ड्रग फ्री देवभूमि 2025’ अभियान शुरू किया, तस्करों पर कड़ी नजर

देहरादून । उत्तराखंड पुलिस ने प्रदेश को नशामुक्त बनाने के उद्देश्य से एक महत्वपूर्ण और व्यापक अभियान की शुरुआत की है। पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) दीपम सेठ के नेतृत्व में प्रदेशभर में “ड्रग फ्री देवभूमि 2025” मिशन के तहत 16 दिसंबर से एक माह का “नशामुक्त अभियान” शुरू किया गया है। इस अभियान का मुख्य उद्देश्य मादक पदार्थों के तस्करों, किंगपिन और पेशेवर अपराधियों के खिलाफ कठोर कदम उठाना है। साथ ही नशे की रोकथाम के लिए समाज में जागरूकता पैदा करना है।

पुलिस महानिदेशक ने बुधवार को पुलिस मुख्यालय पर आयाेजित बैठक में कहा कि यह अभियान न केवल नशे के खिलाफ एक निर्णायक लड़ाई है, बल्कि यह उत्तराखंड को एक सुरक्षित और स्वस्थ राज्य बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। पुलिस विभाग और विभिन्न एजेंसियों के बीच समन्वय और जन जागरूकता कार्यक्रमों के माध्यम से न केवल मादक पदार्थों की तस्करी को रोका जाएगा, बल्कि प्रदेशवासियों को नशे के दुष्प्रभावों से भी बचाया जाएगा। “ड्रग फ्री देवभूमि 2025” मिशन उत्तराखंड के भविष्य को नशे से मुक्त और सुरक्षित बनाने के लिए एक ऐतिहासिक कदम साबित होगा।

पुलिस महानिदेशक ने इस अभियान के तहत कई महत्वपूर्ण दिशा-निर्देश जारी किए हैं। मादक पदार्थों के कारोबार में शामिल तस्करों और गैंगस्टर्स के खिलाफ विशेष कार्रवाई की जाएगी। पुलिस महानिदेशक ने समस्त जनपद प्रभारियों को निर्देशित किया है कि वे मादक पदार्थों से संबंधित अपराधों में संलिप्त अपराधियों की पहचान करें और उनकी ट्रैकिंग करें। इसके अलावा, पुलिस को मादक पदार्थों की तस्करी में संलिप्त अपराधियों और किंगपिन के खिलाफ एक टारगेट निर्धारित कर कार्रवाई करने के लिए कहा गया है।

इस अभियान में राज्य पुलिस ने अत्याधुनिक तकनीकों का उपयोग किया है। पुलिस द्वारा विभिन्न प्रभावित क्षेत्रों में छद्म वेश में सुरागरस पुलिस कर्मियों की तैनाती की जाएगी, ताकि प्रभावी सूचना संकलन किया जा सके। साथ ही, साइबर अपराधों से निपटने के लिए प्रदेश के साइबर सेल में नियुक्त पुलिस अधिकारियों को विशेष निगरानी के तहत रखा जाएगा। इन कदमों का उद्देश्य न केवल मादक पदार्थों की तस्करी को रोकना है, बल्कि इसकी रोकथाम के लिए आवश्यक डिजिटल प्लेटफार्मों पर भी निगरानी रखना है।

प्रदेशभर में मादक पदार्थों के तस्करी के लिए इस्तेमाल होने वाले प्रमुख मार्गों की पहचान की जाएगी और उन पर विशेष चेकिंग पिकेट्स और बैरियर स्थापित किए जाएंगे। पुलिस विभाग ने समस्त थानों और चौकियों के अधिकारियों को इन मार्गों पर सख्त निगरानी रखने का निर्देश दिया है। अन्तर्राष्ट्रीय सीमा और नेपाल से सटे क्षेत्रों पर भी विशेष ध्यान दिया जाएगा, ताकि अवैध तस्करी को रोका जा सके।

उत्तराखंड पुलिस ने इस अभियान में विभिन्न केंद्रीय और राज्य एजेंसियों से सहयोग लिया है। केंद्रीय नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो, सीमा शुल्क, आबकारी विभाग और अन्य सुरक्षा एजेंसियों के साथ समन्वय स्थापित किया जाएगा ताकि मादक पदार्थों के तस्करी के रूट्स की पहचान की जा सके और उनके खिलाफ सख्त कदम उठाए जा सकें। इसके अलावा, सीमावर्ती राज्यों की पुलिस के साथ भी मिलकर नशे के बड़े नेटवर्क को नष्ट करने की योजना बनाई गई है।

इस अभियान का एक अन्य महत्वपूर्ण पहलू जन जागरूकता है। उत्तराखंड पुलिस ने राज्यभर के स्कूलों, कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में नशे के खिलाफ जागरूकता कार्यक्रम शुरू किया है। छात्रों को नशे के खतरों से अवगत कराने और उन्हें नशे की लत से बचाने के लिए चित्रकला प्रदर्शनी, रैलियां, कार्यशालाएं, सेमिनार और ई-प्रतिज्ञा अभियान आयोजित किए जाएंगे। इसके अलावा, नशे के आदी व्यक्तियों की पहचान कर उन्हें नशामुक्ति केंद्रों में भर्ती कर इलाज की व्यवस्था की जाएगी।

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