लाखो के घोटालेबाज कैशियर के लिए अफसरों ने भेजा रिमाइण्डर

 

गोरखपुर। बिजली निगम के 43.29 लाख के घोटाले के आरोपी कैशियर इफ्तेखार अहमद सिद्दकी के खिलाफ गठित तीन सदस्यीय जांच कमेटी की रिपोर्ट में आरोप सही पाए जाने पर मुख्य अभिंयता ने पहली फरवरी को उसकी बर्खास्तगी की संस्तुति कर फाइल पूर्वाचल एमडी को भेजी। बावजूद इसके अबतक कोई कार्रवाई नहीं हो सकी। इससे हैरान-परेशान नगरीय एसई ने मंगलवार को रिमाइण्डर पत्र एमडी को भेजकर कैशियर के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है।

नगरीय विद्युत खंड तृतीय में इफ्तखार अहमद सिद्दकी कैशियर पद तैनात था। उसने सेवाकाल में 15 रसीद बुक बंडल आवंटित कराया। कारपोरेशन की तरफ से मार्च 18 में ही मैनुअल रसीद को बंद कर दिया गया। ऑनलाइन सिस्टम को अपडेट कर कंप्यूटराइज्ड कर दिया। लेकिन कैशियर ने रसीद को जमा करने की जगह से उसी रसीद के माध्यम से लोगों के बिल जमा करने के साथ अन्य विभागीय लेनदेन जारी रखा। अक्तूबर-18 में कारपोरेशन ने मैनुअल रसीद बुक बंडल का हिसाब मांगा। रसीद बुक सभी कर्मचारियों से मांगी जाने लगी। कर्मचारी रसीद बुक जमा करने में कोई रुचि नहीं दिखाए। जुलाई-19 में तृतीय खंड के नवागत एकाउंटेंट ने खंड में जमा रसीद बुक व आवंटित रसीद बुकों की मिलान की। इसमें करीब 15 रसीद बुक बंडल से गायब मिले। इसी जांच के दौरान मामला खुलकर सामने आया। पता चला कि कैशियर इफतेखार के पास 15 रसीद बुक बंडल स्टोर पड़े हैं। उन्हें जमा नहीं कराया गया है। इसके बाद अधिशासी अभियंता ने पत्र लिखकर कैशियर से रीसद बुक जमा करने को कहा। बावजूद इसके कैशियर ने रसीद बुक जमा नहीं की।

इस दौरान कैशियर की डमी आईडी कारपोरेशन ने भेजी। इस डमी आईडी पर भी कैशियर ने 13.56 लाख रुपये जमा किए। यह रकम खंड के बैंक खाते में जमा करने की बजाए कैशियर ने अपने खातें में जमा कर दी। इसके बाद फरवरी 20 में कैशियर की आलमारी से 15 रसीद बुक बंडल बरामद किए गए। इस रसीद बुक का मिलान करने पर बुकों पर जमा 43.29 लाख रुपये निगम के खाते में जमा नहीं होने की बात सामने आई। पूछताछ के बाद आरोपी कैशियर ने 10 लाख रुपये जमा कर दिए। खण्ड के एक्सईएन ने कैशियर के खिलाफ गबन का मुकदमा दर्ज करा दिया। इसी के बाद मामले की विभागीय जांच कमेटी गठित की गई। जांच रिपोर्ट मिलने पर फरवरी में मुख्य अभिंयता ने कैशियर के खिलाफ बर्खास्तगी की कार्रवाई करने की संस्तुति कर फाइल पूर्वांचल एमडी को भेजी। इसके बाद भी अभी तक मामला अटका पड़ा है।

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