
नई दिल्ली । उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को कहा कि हरियाणा में फरीदाबाद के खोरी गांव में अरावली वन भूमि पर मौजूद सभी अनधिकृत ढांचों को हटाना होगा क्योंकि इस तरह के भवनों को ढहाने के बारे में शीर्ष न्यायालय का आदेश ‘‘बहुत स्पष्ट’’ है।
न्यायालय ने 23 जुलाई को फरीदाबाद नगर निगम को वन भूमि पर से अतिक्रमण हटाने के लिए और चार हफ्तों का वक्त दिया था।
शीर्ष न्यायालय ने नगर निगम आयुक्त को एक स्थिति रिपोर्ट सौंपने को कहा, जिसमें पुनर्वास के सिलसिले में उन्हें सौंपे गये अभिवेदनों के निष्कर्ष शामिल किये जाएं।
न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर और न्यायमूर्ति दिनेश माहेश्वरी की पीठ ने कहा कि नीति के तहत जो योग्य हैं, उनका पुनर्वास करने की संभावना है।
न्यायालय ने कहा कि सरकार उन लोगों का पुनर्वास क्यों करे जो योग्य नहीं हैं और अतिक्रमणकारी तथा जमीन कब्जा करने वाले लोग हैं।
पीठ ने कहा, ‘‘हमारा आदेश बहुत स्पष्ट है कि वन भूमि पर सभी अनधिकृत ढांचों को हटाना होगा।’’
नगर निगम का प्रतिनिधित्व करने वाले वकील ने पीठ से कहा, ‘‘वहां रहने वाली 50 प्रतिशत आबादी किराये पर रहती थी और वे लोग वहां से चले गये हैं। ज्यादातर लोग प्रवास कर गये हैं। राधा स्वामी सत्संग परिसर और रेड क्रॉस में इंतजाम किये गये हैं। यदि किसी को शिकायत है तो वह उसके निवारण के लिए आयुक्त से संपर्क कर सकता है। ’’
बहरहाल, पीठ ने नगर निगम को पिछले महीने दी गई चार हफ्तों की समय सीमा 23 अगस्त को समाप्त होने का जिक्र करते हुए मामले की सुनवाई 25 अगस्त के लिए निर्धारित कर दी।
पीठ ने एक और अर्जी पर सुनवाई की, जिसे दायर करने वालों ने दलील दी है कि उनकी अपनी जमीन है जिसका उपयोग विवाह समारोह के लिए किया जा रहा है।
अर्जी देने वालों की ओर से पेश हुए वकील ने कहा कि शीर्ष न्यायालय ने राष्ट्रीय हरित अधिकरण के आदेश के खिलाफ एक अलग मामले में उन्हें अंतरिम राहत दी थी, लेकिन अब प्राधिकारों ने उन्हें यह नोटिस जारी किया है कि उनकी चहारदीवारी चार दिनों के अंदर गिरा दी जाएगी।
न्यायालय ने कहा कि वह लंबित याचिकाओं के साथ इस मामले पर छह अगस्त को सुनवाई करेगा।
गौरतलब है कि शीर्ष न्यायालय ने सात जून को हरियाणा सरकार और फरीदाबाद नगर निगम को गांव के नजदीक अरावली वन क्षेत्र में सभी अतिक्रमण हटाने का निर्देश दिया था, जहां करीब 10,000 आवासीय निर्माण हैं।
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