कोलंबो । श्रीलंका के उच्चतम न्यायालय को मंगलवार को बताया गया कि देश ने 1987 में तमिल अलगाववादियों लिबरेशन टाइगर्स ऑफ तमिल इलम (लिट्टे) द्वारा बौद्ध भिक्षुओं के संहार मामले की जांच शुरू कर दी है। लिट्टे ने एक बस पर हमला कर 31 लोगों की हत्या कर दी थी।
अटॉर्नी जनरल के अधिवक्ता ने न्यायालय को बताया कि इस घटना में सुरक्षित बचे बौद्ध भिक्षु अनदौलपोथा बुद्धसारा ने हमले के बारे में अपना बयान दर्ज करा लिया है।
अल्पसंख्यक तमिलों के लिए देश के उत्तरी और पूर्वी प्रांतों में अलग राज्य की मांग कर रहे लिट्टे ने दो जून, 1987 को पूर्वी अम्पारा जिले के अर्नाथलावा में यह हमला किया था।
बस में कुल 33 बौद्ध भिक्षु और तीन सामान्य नागरिक यात्रा कर रहे थे । लिट्टे ने जब बस रोक कर उसपर अंधाधुंध गोलियां चलायीं तो इसमें कम से कम 31 भिक्षुओं की मौत हो गई।
इस मामले में भी लिट्टे के हमलों से संबंधित तमाम मामलों की तरह किसी की गिरफ्तारी नहीं हुई और ना हीं कोई कानूनी कार्यवाही हुयी थी।
अटार्नी ने न्यायालय को बताया कि उच्चतम न्यायालय की तीन सदस्यी पीठ को जल्द ही मौलिक अधिकारों के लिए बुद्धसारा द्वारा दायर याचिका पर जांच रिपोर्ट मिल जायेगी।
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