भीषण गर्मी : भारत इस वक्त भीषण गर्मी से जूझ रहा है. जलवायु परिवर्तन के कारण हीटवेव और भी तेजी से बढ़ने वाली है. साइंटिस्ट के मुताबिक जलवायु परिवर्तन के कारण कुछ महीनों में हीट वेव लगातार बढ़ेगा. जिसमें हीट सिंकोप की दर अधिक है. हीट वेव के कारण लोगों को बेहोशी या चक्कर आने जैसी समस्या ज्यादा हो रही है. यह ऐसी स्थिति है जो आमतौर पर बहुत देर तक खड़े रहने या बैठने या लेटने के कारण होता है.
नितिन गडकरी एक चुनावी रैली के दौरान बेहोश
हाल ही में भारतीय मंत्री नितिन गडकरी एक चुनावी रैली के दौरान बेहोश हो गए. उस दौरान उनकी सहायता के लिए इमरजेंसी मेडिकल टीम बुलाई गई. इस महीने एक टीवी एंकर भी धूप में लाइव हीटवेव की रिपोर्टिग के दौरान बेहोश हो गए थीं. रिपोर्टर ने बताया कि उनका बीपी अचानक से लो हो गया था. वहीं भारतीय मौसम विभाग (IMD) अप्रैल और जून के बीच सामान्य से अधिक हीटवेव दिनों की भविष्यवाणी की है.
हीट वेव के कारण चक्कर क्यों आते हैं?
भीषण गर्मी में जब तापमान बड़ने लगता है तो शरीर के अंदर का बैलेंस बिगड़ जाता है. ऐसे में स्वेटिंग शुरू होती है. जिसके कारण शरीर से काफी ज्यादा पसीना निकल जाता है.यही वजह है कि अक्सर लोग डिहाइड्रेशन का शिकार हो जाते हैं. बाद में यही चक्कर का कारण बनती है.
गर्मी जब ज्यादा पड़ती है तो अक्सर लोग डिहाइड्रेशन का शिकार हो जाते हैं. इसके कारण हीटबर्न और हीट स्ट्रोक जैसी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. दरअसल, शरीर में टेंपरेचर को मेंटेन नहीं कर पाता है. जिसके कारण टेंपरेचर बढ़ जाता है. शरीर को ऐसा करने से मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है.
एक इंसान 42.3 डिग्री तक का तापमान हेंडिल कर सकता है. एक व्यक्ति बहुत ही ज्यादा गर्मी और ठंडा बर्दाश्त नहीं कर सकता है. ऐसी स्थिति में बेहोशी, चक्कर जैसी समस्या होती है. इसके कारण इलेक्ट्रोलाइट का बैलेंस का बिगड़ता है और फिर बेहोशी हो सकती है.
बेहोशी आने से पहले शरीर पर दिखाई देते हैं ये लक्षण
अधिक तापमान के कारण घबराहट महसूस होना, सिर में दर्द, प्यास लगना यह सब बेहोशी के संकेत हो सकते हैं. इस मौसम में शराब पीने से बचना चाहिए. क्योंकि इसस आप डिहाइड्रेशन का शिकार हो सकते हैं.