बरेली: किसान ने अपने खर्चे पर गायों की सेवा करने की ठानी…

फरीदपुर:  वैसे तो कई संगठन गोवंश की सेवा और सुरक्षा करने के नाम पर राजनीति चमका रहे है, लेकिन कोई अपने प्रयास से एक भी गोवंश को सहारा नहीं दे रहा है। इसके विपरीत फरीदपुर के कपूरपुर गांव निवासी राकेश आर्य ने खेतों में घूम रहीं बेसहारा गोवंशों की दुर्दशा को देखते हुए अपने खर्चे पर गायों की सेवा करने की ठानी।
इसके लिए उन्होंने क्षेत्र में घूम रहीं 40 बीमार और कमजोर गायों को अपनी गोशाला में रखकर सेवा करनी शुरू की, उनकी इस सेवा भाव से प्रभावित होकर कुछ और ग्रामीण आगे और गायों की सेवा में हाथ बंटाना शुरू किया।

इसके बाद राकेश आर्य ने सरकार से मिल रहे अनुदान का लाभ लेने के लिए तहसीलदार फरीदपुर से संपर्क किया तो राकेश आर्य ने बताया की तहसीलदार फरीदपुर में उनकी बात पर कोई तवज्जो नहीं दिया फिर उन्होंने बीडीओ से संपर्क किया तो उन्हें जनवरी माह में 12 हजार की राशि मुहैया कराई गई, इसके बाद उन्हें कोई सहायता राशि नहीं मिली, उन्होंने अधिकारियों से सरकार की ओर से मिलने वाले अनुदान को नियमित दिलाने की मांग की।

कपूरपुर गांव के राकेश आर्य ने बताया की वैसे तो वह आर्य समाज के हैं, लेकिन गायों की दुर्दशा को देखकर मन द्रवित हो उठा। इससे बाद उन्होंने गायों की सेवा करने का मन बनाया और गांव में घूम रही गायों को अपनी गोशाला में रखकर सेवा राकेश आर्य ने बताया उन्होंने अपने साथ-साथ गांव के भी लोगों को गायों की सेवा और गाय बांधने के लिए जागरूक किया 40 अन्य लोगों ने गायों को बांध लिया और इसी के चलते वह गायों को अपने साथियों की मदद से सेवा कर रहे हैं।

सुबह 9 बजे गायों को गांव के ही रंजीत खोलकर रामगंगा की कटरी में चराने के लिए ले जाते हैं। शाम 5 बजे वापस आने के बाद राकेश आर्य ,आवेश राजकुमार, नन्हेपाल, रिशिपाल, नेकपाल, आदि लोगों की मदद से उनके चारे की व्यवस्था करते हैं उन्हें भरपेट चारा देते हैं। उन्होंने बताया कि वैसे क्षेत्र में चार – पांच सौ गोवंश छुट्टा घूम रहे है, उन्होंने अपने प्रयास से 40 गायों को आठ माह से पाल रहे हैं। जनवरी में बीडीओ फरीदपुर ने उन्हें 12000 की आर्थिक मदद दी थी, उसके बाद तहसील प्रशासन या अन्य कर्मचारी देखने नहीं आया।

कागजों में चल रही गोशाला
फरीदपुर तहसील क्षेत्र में चठिया फैजू, करतोली, हरेला, डिथोखा, ढ़ढूली, बेहरा के अलावा विभिन्न ग्राम पंचायतों में गोशालाएं चल हो रही हैं उसके अलावा कई गौशालाएं केवल कागजों में ही चल रही हैं।

 

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