प्रयागराज: इलाहाबाद विश्वविद्यालय में छात्र की मौत पर बवाल

द ब्लाट न्यूज़ इलाहाबाद विश्वविद्यालय में बी वोक के छात्र आशुतोष दुबे की मौत से नाराज छात्रों ने बुधवार को बवाल कर दिया। छात्रसंघ भवन के सामने छात्रों ने सड़क जाम कर हंगामा कर दिया। अचानक नारेबाजी करते हुए छात्र प्रॉक्टर ऑफिस में घुस गए। फाइलों को फाड़ दिया। तोड़-फोड़ की। महिला प्रोफेसर को कुछ छात्रों ने पकड़कर ऑफिस के बाहर निकाल दिया। हिंदी और संस्कृत विभाग में भी छात्रों ने बवाल किया। पुलिस के पहुंचने के बाद छात्र भाग निकले। इस मामले में इलाहाबाद विश्वविद्यालय प्रशासन ने कहा कि कुछ बाहरी तत्वों ने परिसर में घुसकर तोड़फोड़ की है, अराजक तत्वों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। पूरे मामले की शुरुआत मंगलवार शाम को हुई। इलाहाबाद विश्वविद्यालय में क्लास करने के बाद घर जा रहे छात्र आशुतोष दुबे की अचानक तबीयत बिगड़ गई। वो डीन ऑफिस के बाहर गिर गया। साथी छात्र उसे ई-रिक्शा से लेकर एसआरएन अस्पताल पहुंचे, लेकिन उसकी जान चली गई।

आरोप था कि परिसर में एंबुलेंस खड़ी थी। लेकिन, छात्र को अस्पताल पहुंचाने के लिए मुहैया नहीं कराई गई। आशुतोष के पिता गणेश शंकर दुबे ने कर्नलगंज थाने में कुलपति, रजिस्ट्रार और चीफ प्रॉक्टर के खिलाफ तहरीर दी है। छात्र भी इस मामले को लेकर आक्रोश में थे।
आक्रोशित छात्रों ने बुधवार की सुबह छात्र संघ भवन के सामने जाम लगा दिया और हंगामा शुरू कर दिया। छात्र आशुतोष के परिजनों को 50 लाख रुपए मुआवजा देने, कुलपति, रजिस्ट्रार और चीफ प्रॉक्टर के खिलाफ कार्रवाई की मांग पर अड़ गए। पुलिस भी मौके पर बुला ली गई। सुबह से नारेबाजी परिसर में हो रही थी।
अचानक, दोपहर में छात्रों का एक गुट प्रॉक्टर ऑफिस में घुस गया। उन्होंने यहां मेज और अलमारी में रखी फाइलों को फाड़ दिया और तोड़फोड़ की। प्रोफेसर ने रोकने का प्रयास किया, तो उनका हाथ पकड़कर बाहर निकाल दिया। स्टाफ के साथ धक्का-मुक्की की। पुलिस की सख्ती के बाद उपद्रव कर रहे छात्र वहां से भाग निकले।
पिता गणेश शंकर दुबे ने तहरीर में कहा है कि विश्वविद्यालय कैंपस में एंबुलेंस खड़ी थी, लेकिन वह उपलब्ध नहीं कराई गई। जिसकी वजह से उनके इकलौते बेटे को अस्पताल ले जाने में देरी हुई। आशुतोष दुबे इलाहाबाद विश्वविद्यालय के सेंटर ऑफ मीडिया स्टडीज से बी वोक की पढ़ाई कर रहा था। विश्वविद्यालय प्रशासन की ओर से पिता गणेश शंकर दुबे को जानकारी दी गई कि उनके बेटे की अचानक तबीयत बिगड़ गई है। जब वो पहुंचे तो डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया था।
उनका कहना है कि कुलपति प्रो. संगीता श्रीवास्तव, रजिस्ट्रार प्रो. एनके शुक्ला, चीफ प्रॉक्टर प्रो. राकेश सिंह की इस मामले में लापरवाही, प्रशासनिक शिथिलता जाहिर होती है। अगर समय से विश्वविद्यालय प्रशासन ने एंबुलेंस उपलब्ध कराया होता तो शायद उनके बेटे की जान बच सकती थी। उनके बेटे की मौत के यही तीनों जिम्मेदार हैं। लिहाजा उनके खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कर उचित कार्रवाई की जाएगी। आशुतोष दुबे बी वोक के छात्र थे। पिता का कहना है कि बेटे को अगर समय पर एंबुलेंस मिली होती, तो जान बचाई जा सकती थी। पिता का आरोप है कि सुरक्षा गार्डों ने छात्रों को कैंपस के अंदर ई-रिक्शा भी नहीं ले जाने दिया। एंबुलेंस तो मिली नहीं ऐसे में ई-रिक्शा ही सहारा था। ई-रिक्शा न जाने के कारण छात्रों को मजबूरी में आशुतोष को बाइक पर ले जाना पड़ा। इन सब में एक घंटा समय खराब हुआ।

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