द ब्लाट न्यूज़ । भारत अगर शुद्ध रूप से शून्य कार्बन उत्सर्जन के लक्ष्य को वर्ष 2050 तक ही हासिल करने की पहल करता है तो उसके सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में वर्ष 2032 तक 7.3 प्रतिशत (470 अरब अमेरिकी डालर) की वृद्धि हो सकती है और लगभग दो करोड़ अतिरिक्त रोजगार भी पैदा होंगे। एक नई शोध रिपोर्ट में यह अनुमान जताया गया है।
भारत ने वर्ष 2070 तक शुद्ध-शून्य उत्सर्जन का लक्ष्य हासिल करने की घोषणा की हुई है। इस क्रम में भारत की अर्थव्यवस्था वर्ष 2036 तक जीडीपी की अनुमानित आधारभूत वृद्धि से 4.7 प्रतिशत अधिक हो सकती है। इस तरह वर्ष 2036 तक भारत की अर्थव्यवस्था का कुल आकार 371 अरब डॉलर हो सकता है।
एशिया को शुद्ध रूप से शून्य कार्बन उत्सर्जन तक पहुंचाने संबंधी उच्चस्तरीय आयोग के एक अध्ययन में यह अनुमान जताया गया है।
इस ‘पॉलिसी’ आयोग का गठन गत मई में किया गया था। इसके सदस्यों में ऑस्ट्रेलिया के पूर्व प्रधानमंत्री केविन रुड, संयुक्त राष्ट्र के पूर्व महासचिव बान की-मून, नीति आयोग के पूर्व उपाध्यक्ष अरविंद पनगढ़िया और अंतर्राष्ट्रीय वित्त निगम में जलवायु व्यवसाय के वैश्विक प्रमुख एवं निदेशक विवेक पाठक शामिल हैं।
आयोग ने शुक्रवार को जारी अपनी ‘गेटिंग इंडिया टू नेट ज़ीरो’ रिपोर्ट में कहा है कि वर्ष 2070 तक शुद्ध शून्य उत्सर्जन को हासिल करने के क्रम में भारत अपने वार्षिक जीडीपी को साल 2036 तक 4.7 प्रतिशत तक बढ़ा देगा।
शुद्ध शून्य उत्सर्जन भारतीयों के लिए उल्लेखनीय लाभ लेकर आएगा। ऊर्जा उपयोग में इस बदलाव से रोजगार अवसरों में शुद्ध वृद्धि देखने को मिलेगी और वर्ष 2047 तक 1.5 करोड़ नए रोजगार पैदा होंगे। घरों के स्तर पर वर्ष 2060 तक ऊर्जा लागत में 9.7 अरब डॉलर की बचत हो सकती है।
हालांकि शुद्ध शून्य उत्सर्जन का लक्ष्य पाने के लिए भारत को कई चुनौतियों से जूझना होगा। इसमें सबसे बड़ी चुनौती वित्त की होगी। आयोग के अनुमान के अनुसार, भारत को 2070 के अपने लक्ष्य को पूरा करने के लिए अर्थव्यवस्था में कुल 10.1 लाख करोड़ डॉलर के भारी निवेश की जरूरत होगी।
आयोग का मानना है कि भारत हरित निवेश के लिए कार्बन राजस्व या अन्य घरेलू कर-जुटाने के तरीकों का इस्तेमाल कर सकता है। अंतरराष्ट्रीय समर्थन का लाभ उठाने से विकास, गरीबी में कमी और सामाजिक प्रभावों के प्रबंधन के लिए घरेलू वित्त मुक्त होगा और परिवारों पर उच्च कीमतों और करों के नकारात्मक प्रभाव कम करने में मदद मिलेगी।
प्रधानमंत्री नरेद्र मोदी ने पिछले साल ग्लासगो में जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन में घोषणा की थी कि भारत 2070 तक शुद्ध रूप से शून्य कार्बन उत्सर्जन का लक्ष्य हासिल कर लेगा।
शुद्ध शून्य उत्सर्जन का आशय वातावरण में डाली जाने वाली ग्रीनहाउस गैसों और बाहर निकलने वाली गैसों के बीच संतुलन हासिल करना है।