डे नाईट न्यूज़ । दुनिया भर के वनों में वृक्षों की लगभग 12 प्रतिशत प्रजातियां अंधाधुंध कटाई और 1,341 जंगली स्तनधारी प्रजातियां अत्याधिक शिकार के कारण खतरे में हैं। जैव विविधता एवं पारिस्थितिकी तंत्र सेवाओं पर अंतर सरकारी विज्ञान-नीति मंच (आईपीबीईएस) की एक नई रिपोर्ट में यह बात सामने आई है।
जैव विविधता सम्मेलन में ‘‘सतत उपयोग’’ को ‘‘जैविक विविधता के घटकों का इस तरीके और ऐसी दर पर उपयोग करने के रूप में परिभाषित किया गया है, जिससे जैव विविधता में दीर्घकाल में गिरावट नहीं आए और इस तरह वर्तमान एवं भावी पीढ़ियों की जरूरतों एवं आकांक्षाओं को पूरा करने की उसकी क्षमता बरकरार रहे।’’
आईपीबीईएस की रिपोर्ट में कहा गया है कि मछलियां पकड़ने के दौरान कई बार वे प्रजातियां जाल में फंस जाती हैं, जिन्हें पकड़ने का लक्ष्य नहीं होता, जिसके कारण 1970 के दशक से शार्क और शंकुश (रे) प्रजातियों की संख्या में भारी गिरावट आई है।
रिपोर्ट में कहा गया है, ‘‘लगभग सभी (99 प्रतिशत) शार्क और रे प्रजातियों को आधिकारिक तौर पर अनजाने में पकड़े जाने की घोषणा की जाती है, लेकिन वे मूल्यवान हैं और भोजन के लिए उनका इस्तेमाल किया जाता है… 449 प्रजातियों (हाल में आकलन में इस्तेमाल की गई 1,199 प्रजातियों में से 37.5 प्रतिशत प्रजातियों को) को संकटग्रस्त के रूप में वर्गीकृत किया गया है, जिसका मुख्य कारण अंधाधुंध तरीके से मछलियां पकड़ना है।’’
इसमें कहा गया है कि दुनिया भर के जंगलों में करीब 12 प्रतिशत वृक्षों की प्रजातियां अंधाधुंध कटाई के कारण खतरे में हैं। इसके अलावा अंधाधुंध शिकार को1,341 जंगली स्तनधारी प्रजातियों के लिए खतरा चिह्नित किया गया है।
रिपोर्ट में आकलन किया गया है कि जलवायु, समुद्र और परिस्थितिकी में परिवर्तन, प्रदूषण और आक्रामक विदेशी प्रजातियां जंगली प्रजातियों की बहुतायतता और उनके वितरण को प्रभावित करती हैं।
इसमें कहा गया है कि दुनिया भर में 2.4 अरब लोग खाना पकाने के लिए लकड़ी पर निर्भर हैं और विशेषकर विकासशील देशों में 88 करोड़ लोग लकड़ियां जलाते हैं या चारकोल का उत्पादन करते हैं। दुनिया भर में खपत होने वाली 50 प्रतिशत लकड़ी का इस्तेमाल ऊर्जा के लिए किया जाता है। भले ही अधिकतर क्षेत्रों में ईंधन के लिए लकड़ी के इस्तेमाल में गिरावट आ रही है, लेकिन उप-सहारा क्षेत्रों में यह चलन बढ़ रहा है।
इस रिपोर्ट को डॉ मार्ला आर एमेरी, डॉ जीन मार्क फ्रोमेंटिन और प्रोफेसर जॉन डोनाल्डसन ने तैयार किया है। प्रोफेसर डोनाल्डसन ने कहा कि अत्यधिक दोहन जंगलों में भूमि और जल में कई प्रजातियों के अस्तित्व के लिए बड़ा खतरा है।