सस्ते फ्लैट को जल्द पूरा करने की तैयारी में दिल्ली सरकार…

द ब्लाट न्यूज़ । दिल्ली सरकार ने आर्थिक रूप से कमजोर, पिछड़े वर्ग के लिए बन रहे कम लागत वाले अधूरे निर्माणाधीन फ्लैट को पूरा करने की कवायद तेज कर दी है। डीएसआईआईडीसी ने सरकार को इन अधूरे फ्लैट के निर्माण को पूरा करने के लिए प्रस्ताव भेजा है।

 

सरकार को भेजे गए प्रस्ताव में अधूरे फ्लैट में बचे काम को पूरा करने और बचे हुए फ्लैट को बनाने के लिए 2210 करोड़ रुपये की मांग की गई है। सूत्रों की मानें तो यह प्रस्ताव ईएफसी (व्यय वित्तीय समित) के पास जाएगा। केंद्र सरकार की ओर से नीति में किए गए बदलाव के चलते ये मकान अब अर्फोडेबल रेंटेड हाउसिंग स्कीम (एआरएचसी) के तहत बनाए जाएंगे।

 

दिल्ली सरकार ने राजधानी में ईडब्ल्यूएस (आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग) के लिए 25 से 30 वर्गमीटर कारपेट एरिया वाले 34660 फ्लैट बनाने का फैसला किया था। दिल्ली सरकार के अंदर आने वाली डीएसआईआईडीसी को जेएनएनयूआरएम के तहत ये फ्लैट बनाने थे। अभी तक तक इस योजना के तहत कुल 17, 660 फ्लैट बनाए जा चुके हैं। इसमें 1530 फ्लैट डूसिब को दिए गए हैं जिनका आवंटन किया जा चुका है। हालांकि, यहां अभी कई सुविधाओं का अभाव है। प्रस्ताव में उन अधूरे कामों को पूरा करने की बात कही गई है। इसे पूरा करने के लिए दो साल का समय मांगा गया है।

 

डीएसआईआईडीसी की ओर से भेज गए प्रस्ताव की मानें तो अभी अधूरे पड़े 16600 फ्लैट का निर्माण किया जाना है। वहीं जो 17, 660 फ्लैट तैयार हैं उसमें भी अभी ज्यादातर फ्लैट में बुनियादी सेवाओं, जैसे पानी आपूर्ति की व्यवस्था, फिटिंग समेत अन्य कई अधूरे काम को पूरा करना है। पूरे हुए फ्लैट में अभी तक 362 फ्लैट बवाना और 1168 फ्लैट बापरौला में आवंटित किए गए हैं, जिसमें परिवार रह रहे हैं। दोनों स्थानों के अलावा टीकरी कलां, पूठ खुर्द, नरेला समेत कुल सात स्थानों पर फ्लैट बनाए जा रहे हैं। अब कुल बनने वाले फ्लैट में से 2108 फ्लैट सीआईएसएफ को दिए जाएंगे। इसके लिए केंद्र सरकार ने दिल्ली सरकार के साथ करार किया है। पहले चरण में उन्हें 1536 फ्लैट देने हैं। यह सभी फ्लैट बापरौला में होंगे।

 

देरी के चलते लागत बढ़ी

 

योजना को पूरा करने के लिए जो प्रस्ताव सरकार को भेजा गया है उसके मुताबिक जब यह योजना बनी थी तब इसकी लागत 1565 करोड़ के करीब थी। मगर पहले जमीन नहीं मिलने, फिर तीन बार योजनाओं का नाम बदलने और फिर दो साल से कोविड के प्रभाव के कारण इसमें लगातार देर होती गई। 2015 में इन फ्लैट को मुख्यमंत्री आवास योजना के तहत बनाया जाना था। उसके बाद 2017 में इसे दिल्ली स्लम एंड झुग्गी झोपड़ी रिलोकेशन के नाम से अधिसूचित किया गया। इसके तहत जहां फ्लैट बन रहा है उसके पांच किलोमीटर के दायरे में रह रहे लोगों को फ्लैट दिया जाएगा। वर्ष 2020 में केंद्र सरकार ने अर्फोडेबल हाउसिंग रेंटेड स्कीम के तहत इसे बनाने की नई नीति लागू कर दी है। अब इसकी लागत करीब 700 करोड़ से अधिक बढ़कर लगभग 2210 करोड़ तक पहुंच गई है। अब इस प्रस्ताव को पैसे की मंजूरी के लिए आर्थिक वित्तीय समिति (ईएफसी) फैसला लेगी।

 

केंद्र को भी दिए जाएंगे कुछ फ्लैट

 

दिल्ली सरकार ने पहले केंद्र सरकार की अर्फोडेबल रेंटेड हाउसिंग स्कीम का विरोध करते हुए कहा था कि वह ये फ्लैट दिल्ली में स्लम और झुग्गियों में रहने वाले लोगों को देगी। केंद्र के नहीं मानने पर अब दिल्ली सरकार ने केंद्र को चिट्ठी लिखकर कुछ फ्लैट देने के लिए तैयार होने की बात कही है। अब दिल्ली सरकार नए बनने वाले फ्लैट में से कुछ फ्लैट केंद्र सरकार को देगी। केंद्र सरकार अपनी नीति के तहत इन फ्लैट को कमजोर वर्ग के लोगों, प्रवासियों और निजी संस्थानों को किराये पर मुहैया कराएगी। बाकी फ्लैट दिल्ली सरकार स्लम और झुग्गी में रहने वाले लोगों को आवंटित करेगी।

 

यहां बन रहे हैं फ्लैट

 

नरेला

 

बवाना

 

पूठ खुर्द

 

भोरगढ़

 

घोगा

 

टीकरी कलां

 

बपरौला

 

 

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