पाटीदार नेता हार्दिक पटेल 2 जून को बीजेपी में शामिल होंगे. हाल ही में हार्दिक पटेल ने कांग्रेस का साथ छोड़ दिया था. हार्दिक पटेल ने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए लिखा था कि पार्टी की राजनीति सिर्फ विरोध तक ही सीमित रह गई है.
सीएए-एनआरसी और आर्टिकल 370 का भी हार्दिक ने अपनी चिट्ठी में जिक्र किया था. उन्होंने लिखा था, देश को विरोध नहीं बल्कि एक ऐसा विकल्प चाहिए जो उनके भविष्य के बारे में सोचता हो. अयोध्या में श्री राम का मंदिर हो, सीएए-एनआरसी का मुद्दा हो, जम्मू-कश्मीर से धारा 370 हटाना हो या जीएसटी लागू करने जैसे फैसले हों. देश लंबे समय से इनका समाधान चाहता था और कांग्रेस पार्टी इसमें एक बाधा बनने का काम करती रही.
हार्दिक का जाना कांग्रेस के लिए झटका
इस्तीफा देने से पहले हार्दिक पटेल ने अपने ट्विटर हैंडल से पार्टी का नाम और पद अपने हटा दिया था. इसके बाद अटकलें तेज हो गई थीं कि वह जल्द ही पार्टी छोड़ने का ऐलान कर सकते हैं. गुजरात में इसी साल विधानसभा चुनाव होने हैं. ऐसे में पटेल का जाना कांग्रेस के लिए बड़ा झटका साबित हो सकता है.
पाटीदार आंदोलन से हुआ था कांग्रेस को फायदा
कांग्रेस को 2017 में पाटीदारों के लिए आरक्षण की मांग करने वाले पटेल के आंदोलन से फायदा पहुंचा था, लेकिन 2019 में उनके कांग्रेस में शामिल होने के बाद से पार्टी के प्रति समुदाय का समर्थन कमजोर हुआ है. राज्य की 182 सदस्यीय विधानसभा में मात्र नौ सीट कम होने के कारण कांग्रेस 2017 गुजरात चुनाव में पीछे रह गई थी. तब ऐसा माना जा रहा था कि उसमें दो दशकों से अधिक समय से राज्य में सत्ता पर काबिज भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को हराने की क्षमता है. लेकिन अब हार्दिक के जाने से कांग्रेस के लिए मुकाबला मुश्किल हो गया है.
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