द ब्लाट न्यूज़ । दिल्ली की राऊज एवेन्यू कोर्ट के सेशंस कोर्ट ने मारपीट के मामले में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, उप-मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया समेत 11 आम आदमी पार्टी के विधायकों को आरोपों से बरी करने के मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट के आदेश के खिलाफ दिल्ली के पूर्व मुख्य सचिव अंशु प्रकाश की याचिका पर फैसला टाल दिया है। कोर्ट ने 8 जून को फैसला सुनाने का आदेश दिया।
दरअसल बुधवार को स्पेशल जज गीतांजलि गोयल फैसला सुनाने के लिए उपलब्ध नहीं थीं, जिसकी वजह से फैसला टाला गया। 7 मई को कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया था। 1 नवंबर 2021 को सेशंस कोर्ट ने इस मामले में मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट की ओर से बरी किए गए सभी आरोपियों को नोटिस जारी किया था। 11 अगस्त 2021 को मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट की कोर्ट ने मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, उप-मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया समेत 11 आम आदमी पार्टी के विधायकों को आरोपों से बरी कर दिया था। कोर्ट ने आम आदमी पार्टी के विधायकों प्रकाश जारवाल और अमानुल्लाह खान के खिलाफ आरोप तय करने का आदेश दिया था। कोर्ट ने जिन्हें आरोपों से बरी किया था उनमें मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, उप-मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया, राजेश ऋषि, नितिन त्यागी, प्रवीण कुमार, अजय दत्त, संजीव झा, ऋतुराज जा, राजेश गुप्ता, मदनलाल और दिनेश मोहनिया शामिल हैं।
इस मामले में अंशु प्रकाश ने आरोप लगाया था कि 19-20 फरवरी 2018 की आधी रात को मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की मौजूदगी में बुलाई गई बैठक में उनके साथ आप के विधायकों ने कथित तौर पर मारपीट और बदसलूकी की थी। इस मामले में दायर आरोप पत्र में अरविंद केजरीवाल, मनीष सिसोदिया और आम आदमी पार्टी के 11 विधायकों को आरोपी बनाया गया था। आरोप पत्र में पुलिस ने मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के तत्कालीन सलाहकार वीके जैन को मुख्य चश्मदीद गवाह बनाया है। इस मामले पर सुनवाई के दौरान दिल्ली पुलिस ने कहा था कि मुख्य सचिव को तीन सीटों वाले सोफे में अमानुल्लाह खान और प्रकाश जारवाल के बीच में बैठने को कहा गया। आमतौर पर ऐसा नहीं होता है। सुनवाई के दौरान उत्तरी दिल्ली के पुलिस उपायुक्त ने कोर्ट में बताया था कि उन्होंने अंशु प्रकाश के चेहरे पर लगी चोटें देखी थीं।