द ब्लाट न्यूज़ । बंबई हाईकोर्ट की एक खंडपीठ ने इस मुद्दे को विचार के लिए पूर्ण पीठ को सौंप दिया है कि क्या कोई अदालत अपने अधिकार क्षेत्र के बाहर दर्ज मामलों में आरोपी को ट्रांजिट जमानत मंजूर कर सकती है?
न्यायमूर्ति एसएस शिंदे और न्यायमूर्ति एसवी कोतवाल की पीठ ने 5 मई को अपने आदेश में इस मामले का जिक्र किया था। कहा था कि इसमें नागरिकों की स्वतंत्रता शामिल है और जांच एजेंसी को जिन कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है, उससे अदालत को निपटना होगा। अदालत ने यह भी कहा कि उसे यह भी सुनिश्चित करना होगा कि ट्रांजिट जमानत देने के प्रावधान का दुरुपयोग न हो। अदालत ने कहा कि विभिन्न उच्च न्यायालयों द्वारा व्यक्त विचारों में व्यापक अंतर के मद्देनजर मामले को एक पूर्ण पीठ द्वारा सुना जाना है।
खंडपीठ ने 5 मई के अपने आदेश में कहा कि यह महत्वपूर्ण मुद्दा है, क्योंकि इसमें नागरिकों की स्वतंत्रता का मामला शामिल है। इस आदेश की प्रति बुधवार को उपलब्ध कराई गई। न्यायमूर्ति रेवती मोहिते डेरे ने वर्ष 2018 में यह मामला खंडपीठ को सौंपा था।
प्रावधान के दुरुपयोग से बचना होगा
अदालत ने अपने आदेश में कहा है, अदालत को जांच एजेंसी की कठिनाइयों के साथ भी संतुलन बनाना होगा। इस प्रावधान का दुरुपयोग आरोपी या शिकायतकर्ता द्वारा किया जा सकता है। अदालत ने आगे कहा, ऐसे मामले में किसी को परेशान करने के लिए शिकायतकर्ता भारत के सुदूर इलाके में घटना दर्शाकर शिकायत दर्ज करा सकता है। ऐसी स्थिति में आरोपी को उस अदालत तक पहुंचने के लिए संरक्षण की आवश्यकता होगी। हाईकोर्ट ने कहा, अत: हमारा मत है कि इस मामले में नागरिकों के व्यापक हित शामिल हैं, इसलिए इसकी सुनवाई वृहद पीठ करे।
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