वाशिंगटन । वैज्ञानिकों ने अब तक के ज्ञात सबसे पतले और सबसे मजबूत पदार्थों में शामिल ग्राफीन का इस्तेमाल प्रयोगशाला में कोविड-19 का पता लगाने में किया और उनका कहना है कि इसके जरिए सटीकता से, तुरंत कोरोना वायरस तथा इसके स्वरूपों के संक्रमण की जानकारी मिल सकती है।
इलिनोइस विश्वविद्यालय, शिकागो के अनुसंधानकर्ताओं ने डाक टिकट से भी 1000 गुणा पतले ग्राफीन की पतली परत को जोड़कर यह अध्ययन किया। उन्होंने कोरोना वायरस पर स्पाइक प्रोटीन को निशाना बनाने के लिए इन परतों पर एंटीबॉडी का इस्तेमाल किया। इसी प्रोटीन के जरिए वायरस इंसानों की कोशिका में प्रवेश करता है और संक्रमण होता है।
अध्ययनकर्ताओं ने कोरोना वाायरस के नमूनों को ग्राफीन की पतली परत पर छोड़कर आण्विक स्तर के कंपन का आकलन किया। इन परतों का इस्तेमाल मर्स जैसे अन्य कोरोना वायरस के परीक्षण में किया गया।
शोध पत्रिका ‘एसीएस नैनो’ में मंगलवार को प्रकाशित अध्ययन में कहा गया कि कोरोना वायरस से संक्रमित नमूने के कारण एंटीबॉडी से युक्त ग्राफीन की परत का कंपन बदल गया। लेकिन, जिन नमूनों में संक्रमण नहीं था या दूसरे कोरोना वायरस में यह कंपन नहीं बदला। पांच मिनट तक तरंगों में बदलाव का आकलन रमण स्पेक्ट्रोमीटर के जरिए किया गया।
इलिनोइस विश्वविद्यालय, शिकागो के प्रोफेसर और शोध के अग्रणी लेखक विकास बेरी ने बताया, ”हम कई साल से ग्राफीन सेंसर विकसित करने का काम रहे हैं। पूर्व में हमने कैंसरग्रस्त कोशिकाओं और एएलएस के लिए डिटेक्टर बनाया था।” उन्होंने कहा, ”कोविड-19 और इसके स्वरूपों का सटीकता और जल्दी से पता लगाने की जरूरत है और इस अध्ययन में यह बदलाव लाने की क्षमता हैं। परिष्कृत सेंसर अत्यधिक संवेदनशील है और कोविड का पता लगा सकता है। यह जल्द परिणाम दे सकता है और किफायती भी है।”
कार्बन एडवांस्ड मैटेरियल एंड प्रोडक्ट (सीएएमपी) के शोधकर्ता गेरेट लिंडेमन ने कहा कि प्रयोगशाला जांच उपकरण के तौर पर इस प्रौद्योगिकी के वर्तमान में काफी फायदे हैं। बेरी ने कहा कि दुनिया में ज्ञात सबसे मजबूत पदार्थ ग्राफीन में कई विशिष्ट खासियतें हैं जिससे सेंसर के लिए यह बहुत उपयोगी हो सकता है।