आंध्र सरकार ने विधानसभा की स्वीकृति के बगैर किये करोड़ो रुपये खर्च..

द ब्लाट न्यूज़ । नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (सीएजी) ने आंध्र प्रदेश की वाई एस जगन मोहन रेड्डी सरकार पर संवैधानिक प्रावधानों के उल्लंघन का आरोप लगाते हुए कहा है कि 1.10 लाख करोड़ रुपये की सार्वजनिक राशि खर्च करने के पहले इसने विधानसभा की स्वीकृति नहीं ली।

सीएजी ने वित्त वर्ष 2020-21 के लिए आंध्र प्रदेश के वित्त लेखा पर जारी अपनी रिपोर्ट में जगन मोहन सरकार की वित्तीय गड़बड़ी एवं कुप्रबंधन का जिक्र करते हुए कहा है कि हजारों करोड़ रुपये की रकम समुचित स्वीकृति के बगैर ही खर्च कर दी गई।

सीएजी ने शुक्रवार को आंध्र प्रदेश विधानसभा में यह रिपोर्ट पेश करते हुए समग्र वित्तीय प्रबंधन प्रणाली (सीएफएमएस) को भी आड़े हाथों लिया है।

नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक गिरीश चंद्र मुर्मू ने अपनी टिप्पणी में कहा, ‘वित्त वर्ष 2020-21 में राज्य विधानसभा की तरफ से स्वीकृत राशि से 1,10,509.12 करोड़ रुपये ज्यादा खर्च कर दिए गए। यह संविधान के अनुच्छेद 204 एवं 205 के प्रावधानों के खिलाफ है जिनके मुताबिक संचित निधि से कोई भी राशि राज्य विधानसभा द्वारा बनाए गए कानून के तहत ही निकाली जा सकती है।’

सीएजी के मुताबिक विधानसभा की स्वीकृति के बगैर इतनी बड़ी राशि खर्च करना बजटीय एवं वित्तीय नियंत्रण की व्यवस्था को कमजोर करता है और सार्वजनिक संसाधनों के प्रबंधन में वित्तीय अनुशासनहीनता को बढ़ावा देता है।

यह रिपोर्ट कहती है कि राज्य सरकार ने 48,284 करोड़ रुपये का लेनदेन विशेष विधेयकों के माध्यम से किया। इस बारे में जब प्रमुख महालेखाकार ने सवाल उठाए तो राज्य के विशेष मुख्य सचिव (वित्त) ने अपनी शक्तियों से बाहर जाते हुए लेनदेन को दुरुस्त किया।

लेखा परीक्षण के दौरान उठाई गई आपत्तियों को देखते हुए राज्य सरकार ने 12 अक्टूबर 2021 को एक आदेश जारी कर वित्तीय प्रणाली एवं सेवा केंद्र की तरफ से संचालित की जा रही गतिविधियों को ट्रेजरी एवं लेखा निदेशक को सौंप दिया।

सीएजी के मुताबिक, राज्य सरकार का यह कदम लेखा परीक्षण की उस राय की ही पुष्टि करता है कि विशेष विधेयकों का लाया जाना अनधिकृत था।

इसके अलावा सीएजी ने कहा है कि पांच मदों में किए गए कुल 26,839 करोड़ रुपये के लेनदेन भी ट्रेजरी कोड के अनुरूप नहीं रहे हैं। उन्होंने कहा है कि ये लेखा प्रविष्टियां सीएफएमएस के उलट इस्तेमाल के जरिये दर्ज की गई हैं और ट्रेजरी व्यवस्था को भी दरकिनार किया गया है।

उन्होंने बजट से इतर उधारियों का जिक्र करते हुए कहा कि आंध्र प्रदेश सरकार ने सात सार्वजनिक उपक्रमों से जुटाई गई 38,312.70 करोड़ रुपये की राशि का राज्य के बजट में कोई खुलासा नहीं किया है। सीएजी के मुताबिक ऐसा करना पारदर्शिता बनाए रखने संबंधी पंद्रहवें वित्त आयोग की अनुशंसा के प्रतिकूल है।

मार्च 2021 के अंत में आंध्र प्रदेश की बजट-इतर उधारी 86,259.82 करोड़ रुपये रही जबकि राज्य सरकार ने 1,16,330 करोड़ रुपये की कुल गारंटी दी हुई थी।

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