नई दिल्ली। इंटर की बोर्ड परीक्षा कैंसिल किए जाने के निर्णय पर दिल्ली के डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया ने कहा कि मेरी राय में ये निर्णय बच्चों के हित में और उनके स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए लिया गया है। उन्होंने कहा कि शिक्षा मंत्रियों की बैठक में भी ऑप्शन वन और ऑप्शन टू दिए गए थे। मैंने तब भी कहा था कि ऑप्शन जीरो यानी परीक्षा ना हो, ये भी रखा जाए। उन्होंने कहा कि पूरे देश में डेढ़ करोड़ बच्चे हैं। सभी ये चाह रहे थे कि अभी बच्चों की सुरक्षा और स्वास्थ्य से खिलवाड़ ना किया जाए। इस दौरान बिना परीक्षा रिजल्ट को लेकर मनीष सिसोदिया ने फॉर्मूला भी दिया है। एग्जाम कैंसिल किए जाने के बाद छात्रों के मूल्यांकन यानी मार्कशीट को लेकर माथापच्ची के इस बीच दिल्ली के डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया ने कहा कि उनके मूल्यांकन का जो प्रस्ताव हमने केंद्र सरकार को दिया है, वह पूरे देश के लिए लागू हो जाए तो अच्छा है। उन्होंने सुझाव दिया कि सबसे पहले इस बात को मानें कि वह (छात्र) बीते 12 वर्ष से आपके पास है, अचानक नहीं आया। 12 साल की हिस्ट्री है, आपके (सरकार) पास कि उसकी कैसी परफॉर्मेंस है। सब कुछ आप उसके बारे में जानते हैं। आपके पास विकल्प है कि उसकी पूरी जर्नी को मूल्यांकन करें हाईस्कूल इंटर इंटरनल एग्जाम प्रैक्टिकल के मार्कशीट उठा लीजिए और उसका मूल्यांकन कार्ड बनाकर दीजिए, ये हो सकता है। साथ में मनीष सिसोदिया ने बताया कि फिर भी किसी को लगता है कि मेरी तैयारी से बेहतर थी तो ऑप्शन तो खुला है। मेरे आंकलन के हिसाब से 80 से 85 फीसदी बच्चे चाहते हैं कि इसी तरह एग्जाम हो। दिल्ली के शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा कि हायर एजुकेशन में अधिकतर 12वीं ग्रेड एग्जाम के बेस पर एडमिशन मिलता है। दिल्ली यूनिवर्सिटी में मेरिट के बेस पर होता है और यूनिवर्सिटीज के लिए अच्छा है कि जो बच्चा आपको मिल रहा है, वह 3 घंटे की परीक्षा के आधार पर नहीं, बल्कि लंबे मूल्यांकन के बाद मिल रहा है। मेरिट के बेस पर यूनिवर्सिटी को तो ये अच्छा ही है। उन्होंने कहा कि प्रतियोगी परीक्षा देने वाली यूनिवर्सिटी के लिए उनके सामने चैलेंज है। वह थोड़ा रुक सकते हैं या वो भी मेरिट के बेस पर ले सकते हैं, ये उन्हें फैसला लेना है।
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