पश्चिम रेलवे के बांद्रा टर्मिनस और गांधीधाम कोचिंग डिपो में कोच वाशिंग प्लांट शुरू

मुंबई । पश्चिम रेलवे ने हमेशा से ही विभिन्न तरीकों से हरित प्रौद्योगिकी को प्रोत्साहित किया है, चाहे वह पुश-पुल परियोजना के माध्यम से प्रयास हो अथवा ऊर्जा बचत और पर्यावरण संरक्षण के लिए सौर पैनलों की स्थापना। इन प्रयासों को जारी रखते हुए पश्चिम रेलवे द्वारा हाल ही में बांद्रा टर्मिनस कोचिंग डिपो और गांधीधाम कोचिंग डिपो में दो स्वचालित कोच वाशिंग प्लांट (एसीडब्ल्यूपी) शुरू किये गये हैं। यह संयंत्र पूरी ट्रेन की धुलाई प्रक्रिया को प्रभावी ढंग से पूरा करने के लिए समय, पानी और मानव शक्ति को कम करने में मदद करता है। इन संयंत्रों के स्वचालन और दक्षता के कारण यह उम्मीद की जाती है कि इससे डिपो के लिए बाहरी धुलाई लागत में प्रति वर्ष लगभग 50 लाख रुपये की बचत होगी।

पश्चिम रेलवे के मुख्य जनसम्पर्क अधिकारी सुमित ठाकुर के अनुसार, बांद्रा टर्मिनस कोचिंग डिपो और गांधीधाम कोचिंग डिपो के स्वचालित कोच वाशिंग प्लांट में ट्रेन मूवमेंट की स्वचालित ट्रैकिंग सुनिश्चित की जायेगी और धुलाई की गति 5-8 किमी प्रति घंटे की रखी गई है। इसके लिए अधिकतम 60 लीटर प्रति कोच साफ पानी की आवश्यकता होती है, जो हाथ से धुलाई की तुलना में 80% कम है। इस संयंत्र के लिए साफ पानी की जरूरत केवल 20% है और धुलाई के लिए उपयोग किए जाने वाले पानी के 80% का प्रत्येक धुलाई चक्र में पुनर्नवीनीकरण किया जाता है। यह संयंत्र समय और पानी के उपयोग में अत्यंत कुशल है, क्योंकि 24 कोच वाली ट्रेन की सफाई के लिए एंड-टू-एंड साइकल समय केवल 10 मिनट है। स्वचालित कोच वाशिंग प्लांट एक पर्यावरण अनुकूल और लागत प्रभावी विकल्प है और ट्रेन अनुरक्षण में स्वचालन की दिशा में एक बड़ा कदम है।

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