विदर्भ के किसान की जीवनी के जरिये भारत के कृषि संकट की झलक पेश करती है किताब

नई दिल्ली । महाराष्ट्र में कुख्यात विदर्भ क्षेत्र के एक किसान की जीवनी के माध्यम से एक किताब में भारत के “अनंत कृषि संकट” की झलक पेश करने की कोशिश की गई है।

हार्परकॉलिन्स इंडिया द्वारा प्रकाशित, “रामराव : द स्टोरी ऑफ इंडियाज फार्म क्राइसिस” को ग्रामीण पत्रकार जयदीप हर्दीकर ने लिखा है।

हर्दीकर ने अपनी किताब में विदर्भ के कपास उगाने वाले किसान रामराव पंचलेनीवार की कहानी पेश की है जो 2014 में कीटनाशक की दो शीशियां पीने के बावजूद बच गए।

प्रकाशक ने एक बयान में कहा, “वह पाठक को एक भारतीय किसान के दैनिक जीवन, उसके संघर्षों और कई विफलताओं के साथ ही उसके सामने आने वाली समस्याओं के दलदल में ले जाते हैं और यह बताते हैं कि वह कैसे उस मुकाम तक पहुंच जाता है जहां वह सबकुछ खत्म कर देने के विकल्प का चयन करता है।”

किताब के बारे में बात करते हुए हर्दीकर ने कहा कि वह “आत्महत्या की कहानी नहीं लिखना चाहते थे बल्कि जिंदगी और जीने की कहानी लिखना चाहते थे।” उन्होंने कहा, “अंत में मैं रामराव बनना चाहता हूं, अच्छा नागरिक जो हमेशा दूसरों की मदद करना चाहता है, न कि एक संघर्षरत उत्पादक किसान, खाद्य उत्पादक रामराव, जिसे नई आर्थिक व्यवस्था में हमारे समाज में हाशिये पर धकेल दिया गया। ”

हर्दीकर कहते हैं, “वह हर बार अपने जीवन को बेहतर करने का प्रयास करता है, लेकिन लगभग हर बार आर्थिक नुकसान उठाता है। किसानों की उम्मीद का टूटना मुझे लगता है कि आत्महत्या या निराशा की तुलना में ज्यादा बड़ी आपदा है जो आधुनिक भारत में एक बड़ा मानवीय संकट है।”

“रिपोतार्ज का अनुकरणीय कार्य” कही जा सकने वाली यह कहानी रामराव के सात सालों के जीवन को समेटती है जब उन्होंने खुदकुशी की कोशिश की थी।

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