अदालत ने मुख्य सचिव पर हमले के मामले में केजरीवाल, सिसोदिया और अन्य को आरोप-मुक्त किया

नई दिल्ली । दिल्ली की एक अदालत ने तत्कालीन मुख्य सचिव अंशु प्रकाश पर हमले के 2018 के एक मामले में बुधवार को मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और सत्तारूढ़ पार्टी के 10 अन्य विधायकों को आरोप मुक्त कर दिया। अदालत ने कहा कि मुख्यमंत्री का आचरण “उनके खिलाफ लगाए गए आरोपों से मेल नहीं खाता था ”

केजरीवाल के साथ ही, अदालत ने उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया और आम आदमी पार्टी (आप) विधायकों, राजेश ऋषि, नितिन त्यागी, प्रवीण कुमार, अजय दत्त, संजीव झा, ऋतुराज गोविंद, राजेश गुप्ता, मदन लाल और दिनेश मोहनिया को भी आरोप मुक्त कर दिया।

अतिरिक्त मुख्य मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट सचिन गुप्ता ने मामले में आप के दो विधायकों अमानतुल्ला खान और प्रकाश जरवाल के खिलाफ आरोप तय करने का आदेश दिया है और कहा कि उनके खिलाफ पहली नजर में मामला बनता है।

अदालत ने भारतीय दंड संहिता की धारा186 (लोक सेवक को लोक कार्यों के निर्वहन में बाधा डालना), 332 (लोक सेवक को कर्तव्य निर्वहन से रोकने के लिए उसे जानबूझकर चोट पहुंचाना), 353 (लोक सेवक को उसके कर्तव्य के निर्वहन से रोकने के लिए हमला या आपराधिक बल), 323 (स्वेच्छा से चोट पहुंचाना) और 34 (सामान्य इरादे) के तहत आरोप तय करने का आदेश दिया।

राजनीतिक नेताओं को बरी करते हुए अदालत ने कहा कि रिकॉर्ड में उपलब्ध सामग्री के अनुसार, गैरकानूनी रूप से इकट्ठा होने, आपराधिक साजिश, अपराध के लिए उकसाने एवं आरोपों में आरोपियों के खिलाफ प्रथम दृष्टया कोई मामला नहीं बनाता है।

न्यायाधीश ने आदेश में कहा मुख्यमंत्री द्वारा बुलाई बैठक में उनका आचरण बिल्कुल भी संदेहास्पद नहीं है और अगर कथित रूप से कुछ अनहोनी हो जाती तो इसका मतलब यह नहीं होता कि बैठक एक अवैध सभा थी या मुख्यमंत्री, उपमुख्यमंत्री और अन्य आरोपी विधायकों की मौजूदगी कथित अपराध करने के लिए आपराधिक साजिश या आम मंशा या अपराध को किसी भी तरह से बढ़ावा देने के हिस्से के तौर काम कर रही थी।

59 पन्नों के आदेश में अदालत ने कहा कि मुख्यमंत्री ने अमानतुल्लाह और जरवाल दोनों को अपराध करने से बचने को कहा और यहां तक कि शिकायतकर्ता को वहां से जाने की अनुमति भी दे दी।

यह रेखांकित करते हुए है कि केजरीवाल बैठक के बाद उन दोनों के आचारण से नाखुश थे, अदालत ने कहा, “फिर ऐसा व्यक्ति (केजरीवाल) कथित हमले या किसी अन्य अपराध के संबंध में किसी आपराधिक साजिश का हिस्सा कैसे बन गया।”

अदालत ने कहा कि केजरीवाल के आचरण और आसपास की परिस्थितियों से अनुमान नहीं लगाया जा सकता है कि वह ऐसी किसी साजिश का हिस्सा थे, जैसा आरोप है।

न्यायधीश ने कहा, “वर्तमान मामले में उनका आचरण उनके खिलाफ लगाए गए आरोपों से स्पष्ट रूप से मेल नहीं खाता है।’’

उन्होंने कहा कि बैठक में उपस्थित सभी व्यक्ति विधायक थे, “जो लोगों के चुने हुए प्रतिनिधि थे, अपराधी नहीं”, और वे सभी मुख्यमंत्री के निर्देश के अनुसार एक बैठक में भाग लेने के लिए एकत्र हुए थे।

न्यायाधीश ने कहा, “ इसलिए, उन विधायकों को किसी ‘विशिष्ट उद्देश्य’ के लिए चुने गए ‘विशिष्ट विधायक’ के रूप में संदर्भित करने का कोई मतलब नहीं है और यह साजिश के सिद्धांत को पुष्ट नहीं करता है, जैसा कि अभियोजन पक्ष द्वारा चित्रित किया गया है।”

आपराधिक मामला 19 फरवरी, 2018 को केजरीवाल के आधिकारिक आवास पर एक बैठक के दौरान प्रकाश पर कथित हमले से जुड़ा है और मुख्यमंत्री एवं उपमुख्यमंत्री के साथ ही, आप के 11 विधायकों को भी मामले में आरोपी बनाया गया था।

केजरीवाल, सिसोदिया और आप के नौ अन्य विधायकों को अक्टूबर 2018 में जमानत दे दी गई थी। अमानतुल्ला खान और प्रकाश जरवाल को उच्च न्यायालय ने पहले जमानत दी थी। इस कथित हमले के बाद दिल्ली सरकार और उसके नौकरशाहों के बीच खींचतान शुरू हो गई थी।

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