नई दिल्ली। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के अभिभाषण के बाद कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी की एक टिप्पणी ने सियासी तूफान खड़ा कर दिया है। संसद के संयुक्त सत्र में राष्ट्रपति के एक घंटे लंबे भाषण के बाद सोनिया गांधी को राहुल गांधी से बात करते हुए सुना गया,
इस टिप्पणी के सामने आने के बाद भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने कांग्रेस पर जोरदार हमला बोलते हुए इसे देश की “पहली आदिवासी महिला राष्ट्रपति का अपमान” करार दिया।
बीजेपी प्रवक्ता गौरव भाटिया ने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा, “यह टिप्पणी कांग्रेस की संकीर्ण सोच और उनके अहंकार को दर्शाती है। सोनिया गांधी और राहुल गांधी को देश की राष्ट्रपति के प्रति ऐसी भाषा का प्रयोग करने के लिए माफी मांगनी चाहिए।”
सांसद प्रियंका गांधी भी इस दौरान मौजूद थीं, हालांकि उन्होंने कोई टिप्पणी नहीं की।
कांग्रेस का पलटवार – ‘सरकारी प्रचार का पुलिंदा था भाषण’
कांग्रेस ने राष्ट्रपति के अभिभाषण को लेकर सरकार पर पलटवार किया है। कांग्रेस सांसद रणदीप सुरजेवाला ने कहा, “राष्ट्रपति का अभिभाषण सरकार के झूठे वादों और सरकारी प्रचार का पुलिंदा बनकर रह गया। यह अभिभाषण देश की वास्तविक समस्याओं को नहीं दर्शाता।”
वहीं, कांग्रेस सांसद कुमारी शैलजा ने कहा, “हर बार सरकार राष्ट्रपति से वही बुलवाती है जो वह चाहती है। लेकिन सच्चाई कुछ और होती है।”
राष्ट्रपति के भाषण को लेकर क्यों गरमाई राजनीति?
राष्ट्रपति मुर्मू के इस अभिभाषण में सरकार की उपलब्धियों को गिनाया गया था, जिसमें 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले विभिन्न योजनाओं और नीतियों का उल्लेख किया गया। विपक्ष का आरोप है कि यह भाषण केवल “सरकार की तारीफ” तक सीमित रहा और देश की असल समस्याओं को नजरअंदाज किया गया।
सियासी घमासान अभी जारी रहेगा
सोनिया गांधी की टिप्पणी के बाद संसद के भीतर और बाहर माहौल गर्मा गया है। जहां कांग्रेस इसे सरकार के खिलाफ अपना पक्ष मजबूती से रखने की रणनीति मान रही है, वहीं बीजेपी इसे आदिवासी महिला राष्ट्रपति के सम्मान से जोड़कर कांग्रेस पर दबाव बना रही है।
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