चंडीगढ़। हरियाणा की राजनीति में एक बार फिर कैबिनेट मंत्री अनिल विज अपने बेबाक अंदाज से चर्चा में हैं। विज ने साफ शब्दों में ऐलान कर दिया है कि वह अब ग्रीवेंसिस कमेटी की बैठक में शामिल नहीं होंगे। उनके मुताबिक, प्रशासन उनके आदेशों को गंभीरता से नहीं लेता, जिससे बैठकों में जाना निरर्थक हो गया है। गृह मंत्री अनिल विज ने अधिकारियों पर सीधा हमला बोलते हुए कहा कि जब प्रशासन उनके निर्देशों को लागू ही नहीं करता, तो बैठकों में जाने का कोई औचित्य नहीं। उनका कहना है कि वह जनता की समस्याओं को हल करने के लिए बैठकें करते हैं, लेकिन जब उनके फैसलों की अनुपालना नहीं होती, तो यह प्रक्रिया महज औपचारिकता बनकर रह जाती है।
अनिल विज ने अपनी नाराजगी का इजहार करते हुए कहा कि अगर जरूरत पड़ी तो वह आमरण अनशन करने से भी पीछे नहीं हटेंगे। यह बयान दर्शाता है कि वह अपने क्षेत्र की जनता के लिए किसी भी हद तक जाने को तैयार हैं। उनके इस सख्त तेवर से सरकार और प्रशासन दोनों के लिए स्थिति चुनौतीपूर्ण हो सकती है।
अंबाला कैंट में जनता की समस्याओं को हल करने के लिए विज द्वारा लगाए जाने वाले जनता कैंप भी बंद कर दिए गए हैं। विज का कहना है कि जब अधिकारी उनके आदेशों को नजरअंदाज कर रहे हैं, तो इस व्यवस्था को जारी रखना व्यर्थ है। हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि वह जल्द ही नई रणनीति अपनाएंगे ताकि जनता को राहत मिल सके।
क्या है असल मामला?
अनिल विज, जो हरियाणा सरकार में गृह मंत्री होने के साथ-साथ अंबाला कैंट से विधायक हैं, हमेशा अपने क्षेत्र की जनता के मुद्दों को उठाने में अग्रणी रहे हैं। लेकिन उनके हालिया बयानों से स्पष्ट है कि प्रशासनिक स्तर पर उनकी बातों को गंभीरता से नहीं लिया जा रहा, जिससे वह बेहद नाराज हैं।
क्या सरकार झुकेगी या बढ़ेगा टकराव?
अब बड़ा सवाल यह है कि विज की इस नाराजगी पर सरकार और प्रशासन क्या रुख अपनाते हैं? क्या उनकी चेतावनी के बाद अधिकारी सतर्क होंगे, या फिर यह मामला और तूल पकड़ेगा? अनिल विज की राजनीतिक शैली को देखते हुए यह स्पष्ट है कि वह आसानी से अपने फैसले से पीछे नहीं हटने वाले।
The Blat Hindi News & Information Website